उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी हर सीट पर आमने-सामने है मैनपुरी की करहल कानपुर की शीशामऊ प्रयागराज की फूलपुर मुरादाबाद की कुंदरकी मुजफ्फरनगर की मीरापुर गाजियाबाद की गाजियाबाद सदर मिर्जापुर की मझवा अंबेडकर नगर की कटेहरी अलीगढ की खैर सीट पर 20 को नवंबर को मतदान हुआ था कल 23 नवंबर को प्रदेश की 9 सीटों के विधानसभा उपचुनाव का परिणाम आएगा राजनैतिक दलों के सियासी सूरमाओं की निगाह परिणाम पर बनी हुई है सीएम योगी आदित्यनाथ अखिलेश यादव डिप्टी सीएम बृजेश पाठक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य शिवपाल यादव कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह जैसे प्रदेश के बड़े नेताओं ने अपनी अपनी जिम्मेदारी वाली सीट पर जमकर मेहनत की और मतदाताओं को प्रचार प्रसार के माध्यम से लुभाने का जमकर प्रयास किया सीएम योगी ने नव सीटों के प्रचार अभियान में कल 13 रैली और दो रोड शो किया वहीं अखिलेश यादव भी प्रदेश की उपचुनाव वाली 9 सीटों पर प्रचार करते नजर आए कल राज्यों के विधानसभा नतीजे के साथ ही उत्तर प्रदेश उपचुनाव के नतीजे आएंगे जिस पर सभी नेताओं की निगाहें टिकी हुई है क्योंकि नतीजे को 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा है ऐसे में बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर हैl
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जीते तो थप थपाई जाएगी पीठ हारने पर किसकी होगी जिम्मेदार
राजनीतिक दलों के सियासी सूरमाओं के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बन चुके यूपी विधानसभा उपचुनाव में जीत और हार के नतीजे बेहद मायने रखते हैं क्योंकि जीत पर जहां सभी को विजय श्री दिलाने का श्रेय दिया जाएगा वहीं हार को भी लेकर जिम्मेदारी तय होगी कांग्रेस ने यूपी की उपचुनाव वाली किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतरा ऐसे में भाजपा और सपा के बीच मुख्य मुकाबला देखने को मिला अब सबसे बड़ा सवाल यह है सपा और भाजपा की ओर से जिन बड़े नेताओं को चुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी अगर उनके प्रभाव वाली सीट पर पार्टी चुनाव हारती है तो क्या वह इसके जिम्मेदार होंगे लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में करारी हार का सामना करना पड़ा हालांकि हर के बाद पार्टी के नेताओं को कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ा मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी लोकसभा चुनाव के पहले भी प्रदेश अध्यक्ष थे और अभी भी प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं हालांकि माना यह जा रहा है कि भाजपा हो या समाजवादी पार्टी हार के बाद इस बार जिम्मेदार नेताओं की जिम्मेदारी तय होगी और हार के बाद दोनों संगठनों में बड़े बदलाव हो सकते हैं बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है और सबसे बड़ा सवाल है कि जीतने पर श्रेय लेने वाले नेता क्या हार की जिम्मेदारी लेंगे यह देखने वाली बात होगी
यूपी उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है ऐसे में नतीजे आने वाले समय में चुनावी राजनीति और प्रदेश की राजनीति से जुड़े बड़े चेहरों का परीक्षण होगा क्योंकि हर सीट पर सपा और भाजपा दोनों दलों ने अपने बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी है और हार के बाद बड़े नेताओं की राजनीतिक कुशलता पर सवाल खड़े होना लाजमी है l