कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस पहुंचे, जहां उन्होंने रेप पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। यह दौरा उस चिट्ठी के बाद हुआ, जो पीड़िता के परिवार ने रायबरेली सांसद राहुल गांधी को भेजी थी। राहुल गांधी का यह दौरा अब राजनीतिक चर्चा का विषय बन चुका है। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस उन मुद्दों पर सक्रिय हो रही है, जिन्हें पहले समाजवादी पार्टी ने उठाया था। चाहे वह हाथरस का मामला हो, संभल का विवाद हो या बहराइच की घटना, सपा ने इन मुद्दों पर योगी सरकार को घेरा था। लेकिन जब सपा इन मुद्दों पर चुप हो गई, तो कांग्रेस ने इन मुद्दों को उठाकर अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश की है।

कांग्रेस का प्रयास यह है कि वह यूपी में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करे, ताकि 2027 के चुनावों में अपनी बात मजबूती से रख सके। राहुल गांधी का हाथरस दौरा और दिल्ली में संभल के पीड़ितों से मुलाकात, कांग्रेस का सपा और अखिलेश यादव को यह संदेश देने की कोशिश है कि उसे कमजोर नहीं समझा जाए। कांग्रेस इस दौरान दलित और संविधान से जुड़े मुद्दों को भी उठाने की कोशिश कर रही है, ताकि वह चुनावी समय में इन्हें प्रमुख बना सके।
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हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि पार्टी का किसी भी वोट बैंक पर ध्यान नहीं है। उनका कहना है कि कांग्रेस हमेशा जनता के मुद्दों पर बात करती है, और यह पार्टी की जिम्मेदारी है। वे इस सवाल को सियासी चश्मे से देखने का विरोध करते हुए कहते हैं कि कांग्रेस चुनावी राजनीति में नहीं, बल्कि समाज की भलाई के लिए काम कर रही है।