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पीएम मोदी ने बताई महाकुंभ की महिमा, वेद-पुराण और ग्रंथों के आख्यानों से किया परिभाषित

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दुनिया के करोड़ों सनातनियों की आस्था के केंद्र महाकुंभ के विधिवत आरंभ से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिव्य-भव्य आयोजन के हर पहलू की सीएम योगी आदित्यनाथ से जानकारी ली। उन्होंने बड़े हनुमान मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना, सिंदूर-लाल चंदन, नैवेद्य अर्पण कर बजरंगबली से इस महान आयोजन को सफल बनाने का आशीर्वाद भी मांगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रयागराज और महाकुंभ की महिमा को वेद-पुराणों, ग्रंथों के आख्यानों के जरिये परिभाषित किया। महाकुंभ के संगम स्नान को लेकर तुलसी की चौपाई भी पढ़ी और वेद ऋचाओं के रूप में संस्कृत के तीन श्लोकों की व्याख्या कर महाकुंभ के महात्म्य और आध्यात्मिक अनुभव को समझाया।पीएम मोदी ने महाकुंभ और प्रयागराज के आध्यात्मिक अनुभव को व्यक्त करने की शुरुआत संत तुलसी की चौपाई- माघ मकरगत रबि जब होई/ तीरथपतिहिं आव सब कोई..से की। उन्होंने बताया कि जब सूर्य मकर में प्रवेश करते हैं, तब सभी दैवीय शक्तियां, सभी तीर्थ, सभी ऋषि, महर्षि, मनीषी प्रयाग में आ जाते हैं। यह वह स्थान है जिसके प्रभाव के बिना पुराण पूरे नहीं होते। यह वह स्थान है, जिसकी प्रशंसा वेद की ऋचाओं ने की है।

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प्रयाग वह है जहां पग-पग पर पवित्र स्थान है, जहां पग- पग पर पुण्य क्षेत्र है। मोदी ने प्रयागराज में स्थित सात तीर्थ नायकों का भी जिक्र किया त्रिवेणी माघवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्/ वंदेऽक्षयवटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम्… मोदी ने बताया कि त्रिवेणी का त्रिकाल प्रभाव, वेणी माधव की महिमा, सोमेश्वर के आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि, नागराज वासुकि का विशेष स्थान, अक्षय वट की अमरता और शेष की अशेष कृपा ही हमारा तीर्थराज प्रयाग है।तीर्थराज प्रयाग यानी चारि पदारथ भरा भंडारू, पुण्य प्रदेस देस अति चारू… पीएम ने इसका भी अर्थ बताया कि जहां धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पदार्थ सुलभ हैं, वहीं प्रयाग है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ हजारों वर्ष पहले से चली आ रही हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक यात्रा का पुण्य और जीवंत प्रतीक है। एक ऐसा आयोजन, जहां धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला का दिव्य समागम होता है। संगम में स्नान से करोड़ तीर्थ के बराबर पुण्य मिल जाता है। जो व्यक्ति प्रयाग में स्नान करता है, वह हर पाप से मुक्त हो जाता है। राजा-महाराजाओं का दौर हो या फिर सैकड़ों वर्षों की गुलामी का कालखंड, आस्था का यह प्रवाह कभी नहीं रुका।

पीएम मोदी ने कहा, किसी बाहरी व्यवस्था के बजाय कुंभ मनुष्य के अंतर्मन की चेतना का नाम है। यह चेतना स्वतः जागृत होती है। यही चेतना भारत के कोने-कोने से लोगों को संगम के तट तक खींच लाती है। गांव, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकल पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयागराज केवल एक भौगोलिक भूखंड नहीं है, यह एक आध्यात्मिक अनुभव का क्षेत्र है।

पिछली सरकारों को भारत की संस्कृति और आस्था से नहीं था कोई लगाव


पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा। कहा कि पहले की सरकारें कुंभ के महात्म्य पर ध्यान नहीं देती थीं। श्रद्धालु कष्ट उठाते रहे, लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था। भारत की संस्कृति व आस्था से उनका कोई लगाव नहीं था। लेकिन, आज केंद्र-राज्य में भारत के प्रति आस्था व भारतीय संस्कृति को मान देने वाली सरकार है। कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाना डबल इंजन की सरकार अपना दायित्व समझती है। यहां केंद्र व राज्य सरकार ने मिलकर हजारों करोड़ की योजनाएं शुरू की हैं। सरकार के अलग-अलग विभाग जिस तरह महाकुंभ की तैयारियों को पूरा करने में जुटे हैं, वह सराहनीय है। देश-दुनिया के लोगों को यहां तक आने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया गया है।

एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अद् भुत तस्वीर


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान महाकुंभ नगर में गैर सनातनियों के प्रवेश लगाने संबंधी मांग करने वालों को भी परोक्ष तौर पर जवाब दिया। उन्होंने कहा-महाकुंभ में जाति और पंथ का भेदभाव खत्म हो जाता है।

कई संस्थाओं तथा कुछ संतों की ओर से लगातार मांग की जा रही थी कि महाकुंभ क्षेत्र में गैर सनातनियों को प्रवेश न दिया जाए। उन्होंने गैर सनातनियों को खाने-पीने की दुकानें आवंटित नहीं करने की भी मांग की थी। प्रधानमंत्री ने इस मांग को लेकर तो कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन परोक्ष तौर पर इसे नकार दिया। महाकुंभ के महत्व पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एकता का महायज्ञ है। इसमें हर तरह के भेदभाव की आहुति दी जाती है।

पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ जैसी सामूहिकता की शक्ति, समागम शायद ही कहीं और देखने को मिले। यहां आकर संत, महंत, ऋषि, मुनि, ज्ञानी, विद्वान, सामान्य मानवीय सब एक हो जाते हैं। सब एक साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है, संप्रदायों का टकराव मिट जाता है, करोड़ों लोग एक ध्येय, एक विचार से जुड़ जाते हैं। इस बार भी महाकुंभ के दौरान यहां अलग-अलग राज्यों से करोड़ों लोग जुटेंगे, उनकी भाषा अलग होगी, जातियां अलग होंगी, मान्यताएं अलग होंगी लेकिन संगम नगरी में आकर वह सब एक हो जाएंगे। इसीलिए कहता हूं कि यह महाकुंभ एकता का महायज्ञ है, जिसमें हर तरह के भेदभाव की आहुति दी जाती है। यहां संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत करता है।

गंगा पूजन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखाड़ों के प्रमुख महामंडलेश्वरों, श्रीमहंतों और संन्यासियों का आशीर्वाद लिया। मोदी ने संतों को महाकुंभ की परंपरा का सबसे अहम पहलू बताते हुए कहा कि संतों से देश को दिशा मिलती रही है। कुंभ के दौरान संतों के वाद- संवाद और शास्त्रार्थ में देश के मौजूदा विषयों व चुनौतियों पर व्यापक चर्चा होती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, संतजन मिलकर राष्ट्र के विचारों को एक नई ऊर्जा देते हैं। नई राह भी दिखाते हैं। संत- महात्माओं ने देश से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय कुंभ में ही लिए हैं। पहले संचार के आधुनिक माध्यम नहीं थे, तब कुंभ में संतजनों ने बड़े सामाजिक परिवर्तनों का आधार तैयार किया था।

मोदी बाेले, कुंभ में संत-ज्ञानी लोग मिलकर समाज के सुख-दुख की चर्चा करते हैं। वर्तमान और भविष्य को लेकर चिंतन करते हैं। आज भी कुंभ के आयोजन से देश के कोने-कोने और समाज में सकारात्मक संदेश जाता है। पीएम मोदी सभी 36 संतों और तीर्थ पुरोहितों से मिले और उनसे आशीर्वाद लिया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने बताया कि पीएम ने दिव्य और भव्य कुंभ की सांस्कृतिक परंपरा के गौरव को बढ़ाने के लिए संतों का आह्वान किया।

दिव्य भव्य, डिजिटल महाकुंभ का सपना हो रहा साकार : सीएम


दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक व धार्मिक आयोजन महाकुंभ से ठीक एक महीने पहले त्रिवेणी तट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ काफी भावुक रहे।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी का प्रयागराज में आगमन मां गंगा-यमुना व सरस्वती की त्रिवेणी में पूजा-अनुष्ठान के साथ ही महाकुंभ की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

नया इतिहास रचा जा रहा

पीएम मोदी महाकुंभ की परियोजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी के अवलोकन के बाद अक्षयवट मार्ग स्थित सभास्थल पर पहुंचे। उन्होंने महाकुंभ को सफल बनाने में दिन रात जुटे कर्मचारियों, श्रमिकों, सफाई कर्मियों का अभिनंदन करते हुए कहा, 45 दिनों तक चलने वाले महायज्ञ में नया नगर बसाने के महाअभियान के जरिये नया इतिहास रचा जा रहा है।

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