योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या का विकास नया आयाम छू रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के साथ कदम से कदम मिलाकर योगी ने रामनगरी को उसके त्रेतायुगीन वैभव की ओर आगे बढ़ाया। इसी विकास कार्य का असर मिल्कीपुर उपचुनाव में देखने को मिला, जहां भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने 61710 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। योगी के आह्वान पर पूरे मिल्कीपुर में “जय श्रीराम” के नारों की गूंज सुनाई दी और कमल खिला।
चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर में दो रैलियां कीं, जिनमें भारी जनसमर्थन देखने को मिला। दूसरी तरफ, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपने प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार किया, लेकिन जनता पर इसका असर नहीं पड़ा। खास बात यह रही कि अयोध्या पहुंचने के बावजूद अखिलेश यादव ने रामलला के दर्शन नहीं किए, जिससे जनता के बीच उनकी छवि कमजोर हुई।
योगी की अपील का असर – राष्ट्रवाद जीता, परिवारवाद हारा
योगी आदित्यनाथ ने अपनी रैलियों में राष्ट्रवाद को जिताने और परिवारवाद को हराने की अपील की, जिसका सीधा असर चुनाव नतीजों में दिखा। भाजपा के चंद्रभानु पासवान को 146397 वोट मिले, यानी 60.17% मतदाता उनके पक्ष में रहे। दूसरी ओर, सपा प्रत्याशी, जो एक सांसद के बेटे भी हैं, महज 84655 वोट ही जुटा सके और 34.81% वोट पर सिमट गए। यहां तक कि पोस्टल बैलेट में भी वे दहाई के आंकड़े से आगे नहीं बढ़ पाए और सिर्फ 32 वोट मिले।
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योगी के सामने फीके पड़े अखिलेश-अवधेश
योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और दिल्ली में भी अपने नेतृत्व का जलवा दिखाया। यूपी के हालिया उपचुनावों में 9 में से 7 सीटों पर भाजपा की जीत हुई, जिससे साफ है कि जनता ने योगी के विकास कार्यों पर मोहर लगाई।
मिल्कीपुर उपचुनाव में भी यही कहानी दोहराई गई। 2012 से 2022 तक इस सीट पर कब्जा जमाने वाले सपा नेता अवधेश प्रसाद और उनके बेटे को जनता ने पूरी तरह नकार दिया। अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद की जोड़ी योगी के सामने कमजोर पड़ गई और मतदाताओं ने कमल के फूल पर भरोसा जताया।
योगी की कार्यशैली और विकास मॉडल ने किया असर
योगी आदित्यनाथ की संवाद शैली, प्रशासनिक दक्षता और सख्त छवि ने भाजपा को इस चुनाव में मजबूती दी। उन्होंने स्थानीय मुद्दों को बखूबी समझा, अयोध्या का समग्र विकास कराया और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की।
जनता ने भी देखा कि योगी ने अयोध्या के विकास के लिए कितनी मेहनत की है, चाहे वह महाकुंभ की तैयारियां हों, उत्तर प्रदेश दिवस के कार्यक्रम हों या फिर माफिया राज पर प्रहार। इन सभी फैसलों ने मिल्कीपुर के मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लाकर खड़ा कर दिया।
योगी ने मिल्कीपुर में की दो बड़ी रैलियां
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चुनाव में दो बड़ी रैलियां कीं।
- पहली रैली 24 जनवरी को हुई, जब वह उत्तर प्रदेश दिवस के कार्यक्रम की व्यस्तताओं के बावजूद मिल्कीपुर पहुंचे और जनता से संवाद किया।
- दूसरी रैली 2 फरवरी को हुई, जब महाकुंभ के बसंत पंचमी स्नान की तैयारियों के बीच भी उन्होंने मिल्कीपुर में चुनाव प्रचार किया।
इन दोनों रैलियों में भारी भीड़ उमड़ी, जिसने यह साबित कर दिया कि जनता के दिलों में योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता चरम पर है। उनके नेतृत्व में भाजपा ने परिवारवाद पर राष्ट्रवाद की जीत दर्ज की और मिल्कीपुर में कमल को फिर से खिलाया।