यूपी के संभल जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित होने वाले नेजा मेला को लेकर सियासत गरमा गई है। इस मेले के आयोजन के लिए संभल पुलिस ने अनुमति नहीं दी है। जिसके बाद इसपर राजनीति शुरू हो गई है। अब सरकार और पुलिस ही आमने सामने आ गयी है .क्या है पूरा मामला ,और कैसे सरकार और पुलिस प्रशाशन एक दूसरे के आमने सामने है .आइये आप को बताते हैं .
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सुन्नी धर्म के मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि अगर किसी एक धर्म को इजाजत दी जाती है तो दूसरे धर्म को भी इजाजत मिलनी चाहिए। क्योंकि मेला, जुलूस, पर्व और त्योहार हमारी गंगा जमुनी तहजीब है। मेले में हर धर्म के लोग जाते हैं। वहीं प्रशासन ने भले ही नेजा मेला को अनुमति नहीं दी है, लेकिन सरकारी लिखा पढ़ी में सैयद सालार मसूद गाजी को 11वीं शताब्दी का इस्लामिक संत और सैनिक बताया गया है।लेकिन अब मामला और पेचीदा हो गया है .दरअसल यूपी पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, हजरत गाज़ी साईंद सलार मसूद एक प्रसिद्ध ग्यारहवीं शताब्दी इस्लामिक संत और सैनिक है। उनकी दरगाह मुसलमानों और हिंदुओं के समान सम्मान के लिए एक जगह है। यह फिरोज शाह तुगलक द्वारा बनाया गया था। वहीं सालार गाजी को भले ही सरकारी वेबसाइट में 11 वीं शताब्दी का इस्लामिक संत और सैनिक बताया गया है। लेकिन संभल के एएसपी श्रीश चंद्र ने यह कहकर मेला की अनुमति देने से मना कर दिया कि वह लुटेरा था। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि वह महमूद गजनवी का सेनापति था उसने सोमनाथ को लूटा था, कत्लेआम किया था पूरे देश में, इतिहास जानता है।संभल एएसपी ने आगे कहा कि किसी भी लुटेरे की याद में यहां किसी भी मेले का आयोजन नहीं होगा। अगर किसी ने कोशिश की तो कठोर कार्रवाई होगी। इस मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता व प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि बीजेपी का नफरत फैलाने का काम है। इनकी नीति बंटवारा करना है। बीजेपी धर्म, आस्था और त्योहार के नाम पर राजनीति करने के साथ ही अब मेला और मजारों के नाम पर भी राजनीति करने लगी है। बीजेपी ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि वो हर मोर्चे पर असफल है। जनता का ध्यान भटकाने के लिए मजार और मेला की बात कर रहे हैं।

बीजेपी मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती है। सपा नेता ने कहा कि जहां तक पर्यटन विभाग की वेबसाइट की बात है तो सैय्यद सालार मसूद गाजी एक संत थे। हर व्यक्ति का इतिहास होता है।फखरुल हसन चांद ने कहा कि सवाल ये नहीं है कि नेजा मेला को अनुमति नहीं दी गई, सवाल तो ये है कि मेला के आयोजन को अनुमति ना देकर आखिर किसे राजनीतिक लाभ हो रहा है। बीजेपी सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए राजनीति कर रही है। वहीं सुन्नी धर्मगुरू मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि मेला, जुलूस, पर्व और त्योहार हमारी गंगा जमुनी तहजीब है। मेला में हर धर्म के लोग जाते हैं। जब एक धर्म को इजाजत दी जा रही है तो दूसरे धर्म को भी अनुमति देना चाहिए।अगर मेला की अनुमति नहीं देनी थी तो मेला कमेटी से बातचीत करना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टा पुलिस अधिकारी धमका रहा है। मौलाना ने कहा कि संभल में सिर्फ नंबर बढ़ाने की होड़ मची है। इसलिए पुलिस अधिकारी ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। सुफियान निजामी ने पूछा कि आखिर संभल में ही ऐसा क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि सैय्यद सालार मसूद गाजी इस्लाम के एक बहुत बड़े बुजुर्ग रहे है। लाखों लोग उनकी मजार पर जाते है।मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि पर्यटन विभाग ने भी पूरी जांच पड़ताल के बाद ही उनके बारे लिखा होगा। सरकार के अधिकारी कुछ कह रहे हैं और सरकारी लेखा-जोखा में कुछ और बताया जा रहा है इसलिए दोनों में विरोधाभास है। सरकार को इसपर जवाब देना चाहिए।