उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव भले ही दूर हों, लेकिन सियासी माहौल अभी से गर्म हो गया है। योगी आदित्यनाथ की सरकार पर ठाकुरवाद के आरोपों के बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने दलित कार्ड खेलते हुए बीजेपी को चौंका दिया है। सपा अब इस मुद्दे को भुनाकर सत्ता में वापसी की राह तलाश रही है।
क्या है पूरा मामला?
सपा सांसद रामजी लाल सुमन की राजपूत राजा राणा सांगा को गद्दार कहने वाली टिप्पणी के बाद यूपी की राजनीति में तूफान आ गया। करणी सेना ने उनके घर के बाहर प्रदर्शन किया, जिस पर पत्थरबाजी भी हुई। इस पूरे घटनाक्रम को राजपूत बनाम दलित बनाने की कोशिश हो रही है, और अखिलेश यादव इसे पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समीकरण से जोड़कर बीजेपी को घेर रहे हैं।

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अखिलेश की रणनीति – दलितों को साधकर सत्ता की वापसी?
लोकसभा चुनाव 2024 में यादव-मुस्लिम वोट के साथ दलित वोटों का भी ध्रुवीकरण समाजवादी पार्टी की ओर हुआ था, जिससे सपा को बीजेपी से ज्यादा सीटें मिलीं। मायावती के कमजोर पड़ने और बीएसपी का वोट बैंक घटने के कारण अखिलेश अब दलितों को पूरी तरह साधने की रणनीति बना रहे हैं।

- 2012 तक समाजवादी पार्टी के पास ठाकुर वोट भी थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ के आने के बाद ये बीजेपी के साथ चले गए।
- अखिलेश अब ठाकुर वोटों को छोड़कर दलितों और पिछड़ों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
- रामजी लाल सुमन के मुद्दे को दलित उत्पीड़न के रूप में प्रचारित कर सपा इसे बड़ा राजनीतिक हथियार बना रही है।
मायावती भी आईं मैदान में – सपा पर हमला!
सपा की इस दलित राजनीति से परेशान होकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। उन्होंने 2 जून 1995 के गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाते हुए कहा कि सपा को दलितों का उत्पीड़न बंद करना चाहिए और अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना छोड़ना चाहिए।

बीजेपी बैकफुट पर, लेकिन गेम अभी बाकी!
बीजेपी ने अभी इस मुद्दे पर खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में दलित वोटों की वजह से उसका 400 सीटों का सपना चकनाचूर हो गया था। अब सपा की इस नई रणनीति से बीजेपी सतर्क हो गई है और संभव है कि उसके पास इस खेल का जवाब देने के लिए प्लान बी और सी पहले से तैयार हों।
क्या सपा की यह चाल बीजेपी को फंसा पाएगी?
अखिलेश यादव की दलित-ओरिएंटेड राजनीति कितनी सफल होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि राजपूत बनाम दलित का यह मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति को नया मोड़ देने वाला है।