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अमेरिका की टैरिफ नीति से दुनियाभर में हलचल, भारत और चीन के रिश्तों में नया मोड़

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने दुनियाभर में हलचल मचा दी है। इस नीति के कारण वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका जताई जा रही है। अमेरिका ने भारत, चीन, पाकिस्तान सहित कई देशों पर टैरिफ बढ़ा दिया है, जिससे इन देशों को प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

टैरिफ का असर और भारत-चीन की नई दिशा

चीन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका टैरिफ युद्ध चाहता है, तो वह भी तैयार है। अब अमेरिका ने भारत पर 26% और चीन पर 34% टैरिफ लगा दिया है। इससे दोनों देशों के लिए नई आर्थिक मुश्किलें उत्पन्न हो गई हैं। जहां चीन के निर्यात पर और दबाव बढ़ रहा है, वहीं भारत को भी अपनी व्यापार नीति पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है।

चीन की ओर से व्यापार बढ़ाने का प्रस्ताव

टैरिफ के ऐलान से पहले, चीन ने भारत से ज्यादा सामान आयात करने की इच्छा जताई थी। बीजिंग ने भारत के उत्पादों को चीनी बाजार में बढ़ावा देने का संकेत दिया है। चीन ने भारतीय उद्यमों से सहयोग बढ़ाने और व्यापार संबंधों को मजबूत करने की बात कही है।

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भारत-चीन के व्यापारिक संबंध: एक नजर

2010 के दशक में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना था। लेकिन 2020-21 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई। इसके बावजूद, 2022 में भारत-चीन व्यापार ने 135.98 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड बनाया। 2023-24 में यह व्यापार 101.7 बिलियन डॉलर रहा। हालांकि, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, और रसायन के आयात पर भारी निर्भरता के कारण।

भारत और चीन की आर्थिक स्थिति

  • भारत और चीन दोनों बड़े निर्यातक देश हैं, और अमेरिका की टैरिफ नीति से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
  • दोनों देशों को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वे एक-दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि दोनों देशों के बीच पूरी तरह से गठबंधन हो जाएगा, बल्कि वे खास आर्थिक मुद्दों पर एक साथ आ सकते हैं।
  • दोनों देशों के लिए ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे मंच सहयोग बढ़ाने के अवसर प्रदान करते हैं।

भारत-चीन संबंधों में चुनौतियां

  • भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय विवाद का लंबा इतिहास रहा है, विशेष रूप से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में। इन विवादों के बावजूद, व्यापार में प्रोत्साहन मिलने से दोनों देशों के रिश्तों में गहरे आर्थिक एकीकरण में कमी आ सकती है।
  • 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत में चीन के खिलाफ जनभावना बढ़ी, और भारत सरकार ने कुछ चीनी निवेशों पर प्रतिबंध लगा दिए, जिससे सहयोग की गति धीमी हुई है।
  • भारत और चीन टेक्नोलॉजी, टेलीकॉम, और फार्मास्यूटिकल्स जैसे उद्योगों में सीधे प्रतिस्पर्धा करते हैं। इसलिए दोनों देशों को सावधानीपूर्वक संतुलन बनाने की जरूरत है, ताकि एक देश दूसरे पर हावी न हो।

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