वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के लोकसभा में पारित होने के दौरान शरद पवार की पार्टी एनसीपी की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। वोटिंग के वक्त पार्टी के दो सांसद – अमोल कोल्हे और सुरेश बाल्या मामा म्हात्रे सदन से गायब रहे, जबकि शरद पवार खुद राज्यसभा में अनुपस्थित रहे।
चौंकाने वाली बात यह भी रही कि सांसद सुरेश म्हात्रे वक्फ संशोधन विधेयक से जुड़ी जेपीसी समिति के सदस्य तो थे, लेकिन उन्होंने एक भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
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पवार गुट की इस चुप्पी से अटकलों का दौर तेज हो गया है। शरद पवार के करीबी लोगों का कहना है कि वह स्वास्थ्य कारणों से मुंबई में इलाज करा रहे थे, इसलिए दिल्ली नहीं आ सके। लेकिन पार्टी सांसदों की एक साथ गैरमौजूदगी ने पार्टी की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अजित पवार गुट में भी मतभेद
दूसरी ओर, अजित पवार गुट के मुस्लिम नेता पार्टी के रुख से नाराज़ हैं। महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे ने लोकसभा में मौजूद रहकर विधेयक के समर्थन में वोट दिया, जिससे पार्टी के अल्पसंख्यक नेता असहज हो गए हैं।अब सवाल उठ रहे हैं – जब समाज में सेक्युलर विचारधारा की बात की जाती है, तो अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर समर्थन क्यों नहीं मिला? पार्टी की अल्पसंख्यक शाखा और कई मुस्लिम नेता जल्द ही अजित पवार से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जताने की तैयारी में हैं। वक्फ बिल को लेकर एनसीपी की अंदरूनी खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है।