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राष्ट्रपति को आदेश न दे ऐसा नहीं चलेगा ,धनखड़ ने न्याय पालिका पर उठाया गंभीर सवाल

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वक्फ संशोधन कानून संसद और राज्य सभा में जरूर पास हो गया हैं लेकिन अब वक्फ कानून के लागू होने में पेंच फसता हुआ नजर आ रहा हैं। देश में वक्फ कानून को लेकर कई जगह हिंसक प्रदर्शन और पंचायतें चल रहीं हैं। विपक्ष पूरी तरीके से इस कानून का विरोध कर रहा हैं। वक्फ संशोधन बिल पर चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को जारी करते हुए वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद देश में एक नई चर्चा छिड़ गई हैं। लोग अब बातें कर रहे है कि क्या सरकार के द्वारा बनाया गया वक्फ कानून सुप्रीम कोर्ट निरस्त कर देगा

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लेकिन इन सब के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ऐसी बात कह दी, जिसे सुनकर लोकतंत्र और संविधान की बात करने वाले कई लोग असहज हो सकते हैं. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, Article 142 एक ऐसा ‘न्यूक्लियर मिसाइल’ बन गया है जो लोकतंत्र को चौबीस घंटे धमकाता रहता है. धनखड़ ने एक कार्यक्रम में न्यायपालिका पर तीखा निशाना साधा. कहा, कि एक जज के घर पर करोड़ो का कैश मिलने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई. उन्होंने आगे कहा कि देश में न्यायिक सुधारों की अब जरूरत हैं ,,,धनखड़ ने आगे कहा कि संसद अब कोई बड़ा कानून पारित भी कर ले तो उसे कोई एक जज एक याचिका पर रोक देता है. निरंकुश होती जा रही न्यायपालिका को अगर जवाबदेह ना बनाया गया तो सरकार बस नाम की रह जाएगी, बड़े फैसले सिर्फ सुप्रीम कोर्ट करेगा.उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है. इसके लिए पांच या उससे अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता होती है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जिस तरह से न्यायपालिका को लेकर गुस्सा जाहिर की है, उससे ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर अनुच्छेद 142 है क्या, जो न्यायपालिका को विशेषाधिकार देता है. आइये जानते हैं कि संविधान ने इसे किस तरह पारिभाषित किया है.

क्या है अनुच्छेद 142?

आसान शब्दों में कहें तो यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिकार देता है. यह न्यायालय को कानून के अनुसार ऐसा कोई भी आदेश देने की अनुमति देता है जो न्याय के हित में हो. यह अनुच्छेद न्यायालय को विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है, जिसका अर्थ है कि न्यायालय किसी भी मामले में अपनी समझ के अनुसार फैसला ले सकता है. इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य पूर्ण न्याय सुनिश्चित करना है. यह अनुच्छेद न्यायालय को विभिन्न परिस्थितियों में लचीलापन प्रदान करता है.इस अनुच्छेद का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है कि यह अनुच्छेद न्याय के सिद्धांत का संरक्षण करता है. कई मामलों में, सर्वोच्च न्यायालय ने इस अनुच्छेद का उपयोग सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए किया है. यह अनुच्छेद कानून में सुधार लाने में भी मदद करता है.अनुच्छेद 142 के विकास के शुरुआती वर्षों में आम जनता और वकीलों दोनों ने समाज के विभिन्न वंचित वर्गों को पूर्ण न्याय दिलाने या पर्यावरण की रक्षा करने के प्रयासों के लिये सर्वोच्च न्यायालय की सराहना की थी. ताजमहल की सफाई और अनेक विचाराधीन कैदियों को न्याय दिलाने में इस अनुच्छेद का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है. हालांकि इसके जरिए हाल के बरसों में अतिरेक के मामले भी हुए हैं.आर्टिकल 142 से जुड़े कुछ ऐतिहासिक फैसले अब तक कोर्ट ने लिया है ,,,जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की पीठ के फैसले में 142 का इस्तेमाल करते हुए रामलला को जमीन देने का आदेश दिया. साथ ही मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया गया. इस फैसले में अदालत ने साफ कहा कि वह “पूर्ण न्याय” कर रही है.इसके बाद बोफोर्स घोटाले से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को राहत दी, यह कहते हुए कि केस लंबा खिंच चुका है. ट्रायल में देरी से आरोपी का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है. इसके आलावा सहारा-सेबी केस,,सुपारी किलिंग केस में सजा माफ ,,अयोध्या के बाद शांति बनाए रखने के आदेश दिया था ,लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि क्या कोर्ट आर्टिकल 142 के अंतर्गत इस बार भी वक्फ कानून पर रोक लगा देगी ,,,और अगर कोर्ट रोक लगाती है वक्फ कानून पर तो बीजेपी के लिए ये एक बड़ा झटका माना जायेगा ,,,

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