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कौन हैं निशिकांत दुबे ,जिनके बयान पर सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मचा है बवाल

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भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे इन दिनों अपने एक बयान को लेकर चर्चा में हैं. दरअसल बीजेपी सांसद ने अपने बयान में कहा है कि देश में युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट ज़िम्मेदार है.दुबे ने यह भी कहा है कि, “इस देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं, उसके लिए चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया यानिकि संजीव खन्ना ज़िम्मेदार हैं.”सुप्रीम कोर्ट पर की गई इस टिप्पणी के बाद झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे अकेले पड़ते नज़र आ रहे हैं.बीजेपी ने भी उनके बयान से दूरी बना ली है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ़ कहा कि पार्टी दुबे के बयान से सहमत नहीं है.

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निशिकांत के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट को लेकर टिप्पणी की थी.विवाद बढ़ने पर बीजेपी ने अपने ही सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई संजीव खन्ना) को लेकर की गई तीखी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन टिप्पणियों को उनके निजी विचार बताकर खारिज कर दिया. उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि बीजेपी का उसके सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की देश की न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों से कोई लेना-देना नहीं है. ये उनकी निजी टिप्पणियां हैं.दुबे ने मीडिया से कहा था कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से परे जा रहा है. अगर किसी को हर चीज के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और राज्य विधानसभा को बंद कर दिया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा, “एक अनुच्छेद 377 था, जिसमें समलैंगिकता को बहुत बड़ा अपराध माना गया था. अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने भी माना कि इस दुनिया में केवल 2 ही सेक्स हैं, या तो पुरुष या महिल। चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, बौद्ध हो, जैन हो या सिख हो, सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है.”, “लेकिन एक सुबह, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हम इस मामले को खत्म करते हैं.जबकि संविधान का अनुच्छेद 141 कहता है कि हम जो कानून बनाते हैं, जो फैसले देते हैं, वे निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू होते हैं. अनुच्छेद 368 कहता है कि संसद को सभी तरह के कानून बनाने का अधिकार है जबकि सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का अधिकार है. शीर्ष अदालत की ओर से राष्ट्रपति और राज्यपाल से पूछा जा रहा है कि वे बताएं कि उन्हें विधेयकों के संबंध में क्या करना है.”बीजेपी सांसद ने आगे कहा, “जब राम मंदिर या कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी के मामले आते हैं तो आप (SC) कहते हैं कि ‘हमें कागज दिखाओ’. मुगलों के आने के बाद जो मस्जिद बनी है उनके लिए कह रहे हो कि कागज कहां से दिखाओ.” निशिकांत ने आगे आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट इस देश को “अराजकता” की ओर ले जाना चाहता है.

बीजेपी सांसद ने सवाल करते हुए कहा, “आप चुने हुए प्राधिकारी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? राष्ट्रपति देश के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं. जबकि संसद देश का कानून बनाती है. आप उस संसद को निर्देश देंगे? आपने नया कानून कैसे बना दिया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं.” उन्होंने कहा कि जब संसद बैठेगी, तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी.दुबे का यह बयान ऐसे समय आया है, जब सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है.ऐसे में बीजेपी सांसद ने जो बयान दिया है उससे मामला और भी गरमा गया ,,वक़्फ़ कानून से जुड़े एक मामले में याचिकाकर्ता मोहम्मद जावेद के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर निशिकांत दुबे के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना का मुक़दमा चलाने की अनुमति मांगी है.जिसपर कोर्ट ने कहा है कि हमारी अनुमति की जरुरत नहीं हैं आप मुकदमा दर्ज करवा सकते हैं ,,

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