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एक बार फिर गरजी मायावती ,चंद्र शेखर आजाद को लेकर किया बड़ा ऐलान ?

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मायावती और चंद्रशेखर आजाद के बीच की जुबानी जंग अब पूरे जोर पर आ चुकी है.कभी मायावती ट्वीट कर चंद्रशेखर आजाद पर निशाना साधती हैं तो कभी चंद्रशेखर आजाद सधे शब्दों में मायावती की बात का जवाब देते दिखाई देते हैं.. लेकिन आज मायावती ने अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिना नाम लिए बड़ी बात कह दी,और माना ये जा रहा है कि ये सारी ही बातें चंद्रशेखर आजाद को निशाना बनाकर कही गई हैं.

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बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी पार्टियों और नए दलों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने बिना नाम लिए चंद्रशेखर आजाद और उनकी पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) पर भी निशाना साधा।मायावती ने कहा कि कुछ लोग निजी स्वार्थ और सत्ता की लालच में नए संगठन बनाकर दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को गुमराह कर रहे हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग कांशीराम और उनके नाम का इस्तेमाल कर भोले-भाले लोगों को बहका रहे हैं।ऐसे संगठनों का बहुजन समाज से कोई वास्ता नहीं है। ये सिर्फ हमारे वोट बांटने के लिए बनाए गए हैं।उन्होंने साफ कहा कि उत्तर प्रदेश में अगर कोई पार्टी असली अंबेडकरवादी विचारधारा पर चल रही है, तो वह सिर्फ बहुजन समाज पार्टी है।उनके अनुसार, कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसे दल भी जातिवादी राजनीति कर रहे हैं और बसपा की बढ़ती ताकत से डर गए हैं।इसके आलावा मायावती ने चुनावों में EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर गंभीर सवाल उठाए।उनका कहना है कि अगर बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं, तो BSP को पहले जैसा ज़बरदस्त जनसमर्थन मिलेगा।EVM की गड़बड़ियों से हमारे उम्मीदवार जानबूझकर हरवाए जा रहे हैं।मायावती ने कांग्रेस, बीजेपी और सपा पर आरोप लगाया कि इनके इशारे पर कुछ नेता और संगठन बनाए गए हैं, जिनका काम सिर्फ BSP का वोट बैंक तोड़ना है।उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले पर चिंता जताई और कहा कि सरकार को इससे सख्ती से निपटना चाहिए।इसके साथ ही कोविड के बढ़ते मामलों को लेकर भी सरकार को सतर्क रहने की सलाह दी हैं। मायावती का यह प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ विरोधियों पर हमला नहीं था बल्कि यह एक राजनीतिक चेतावनी भी थी.उन्होंने साफ कर दिया कि दलित आंदोलन को कमजोर करने की हर कोशिश को BSP नाकाम करेगी।वैसे इस पूरी खबर को लेकर आप क्या सोचते है ,,आपका क्या मानना है? क्या वाकई में दलित राजनीति को कमजोर किया जा रहा है या फिर ये एक चुनावी रणनीति का हिस्सा है?

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