“नमस्कार, आप देख रहे हैं फिलमिटिक्स और मैं हूँ आपके साथ संजय पांडेय । इस वक्त मऊ सदर सीट को लेकर एक बड़ा सवाल उठ रहा है. क्या 27 सालों से इस सीट पर काबिज अंसारी परिवार की सियासी बादशाहत खत्म हो चुकी है?.क्या अब सभी राजनीतिक दल अंसारी परिवार से दूरी बना रहे हैं – क्या ये उनकी गिरती ताकत का संकेत है?.आज हम इसी मुद्दे पर बात करने वाले हैं .आप लोगो के जेहन में उठते हर एक सवाल का जवाब आज हम आपको देंगे .अब्बास अंसारी को दो साल की सजा मिली, विधायकी गई, परिवार के बाकी सदस्य या तो फरार हैं या केस झेल रहे हैं। तो क्या अब मऊ की राजनीति करवट लेने जा रही है? क्या अंसारी परिवार की सियासी विरासत यहीं थम जाएगी या कोई नया चेहरा इसे आगे बढ़ाएगा?
ALSO READ दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब ब्रिज पर तिरंगा लेकर उतरे पीएम मोदी?

चलिए अब्बास के सियासत की विरासत की कहानी शुरू करते हैं.हेट स्पीच (नफरत भरे भाषण) मामले में दोषी पाए जाने के बाद माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी को दो साल की सजा हुई है। इसके चलते उनकी विधायकी भी खत्म हो गई है और अब मऊ सदर सीट खाली हो गई है। नियमों के अनुसार, अब इस सीट पर 6 महीने के अंदर उपचुनाव कराए जाएंगे।पिछले 27 सालों से मऊ सीट पर अंसारी परिवार का दबदबा रहा है। 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार इस सीट से विधायक बने थे और उसके बाद से ये सीट उनके परिवार के पास ही रही। 2022 के चुनाव में अब्बास अंसारी ने सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के टिकट पर समाजवादी पार्टी के गठबंधन में जीत दर्ज की थी। उसी चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने एक भड़काऊ भाषण दिया था, जिसकी वजह से उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ और अब सजा मिलने पर उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई।अब्बास अंसारी और उनकी पत्नी निकहत अंसारी पर गंभीर मुकदमे चल रहे हैं, इसलिए वे चुनाव नहीं लड़ सकते। मुख्तार की पत्नी अफ्शां अंसारी भी फरार हैं और उन पर गैंगस्टर एक्ट लगा है, इसलिए उनका चुनाव लड़ना भी मुश्किल है।

अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या अंसारी परिवार की राजनीतिक विरासत अब खत्म हो जाएगी या फिर कोई नया चेहरा सामने आएगा?तो संभावना है कि परिवार का ही कोई दूसरा सदस्य या करीबी व्यक्ति मैदान में उतरे। जिन नामों की चर्चा है, उनमें अब्बास का छोटा भाई उमर अंसारी सबसे आगे है। उमर राजनीति में पहले से एक्टिव है और अब्बास के जेल जाने के बाद उसके काम भी संभाल रहा है। लेकिन एक मुश्किल ये है कि उमर पर भी नफरती भाषण देने का केस चल रहा है।एक और नाम चर्चा में है — नुसरत अंसारी। वो मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व सांसद अफजाल अंसारी की बेटी हैं। नुसरत ने हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान अपने पिता के लिए जोरदार प्रचार किया था। इसलिए माना जा रहा है कि अंसारी परिवार उन्हें भी आगे कर सकता है।अब देखना ये है कि उपचुनाव में अंसारी परिवार अपनी पकड़ बनाए रख पाता है या नहीं। ये चुनाव उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।क्योंकि साफ है कि मऊ की लड़ाई सिर्फ एक सीट की नहीं, बल्कि एक पूरे राजनीतिक युग के भविष्य की है। क्या ‘अंसारी राज’ का अंत होगा, या कोई नया वारिस फिर से मैदान में उतरेगा? ये तय करेगा जनता का फैसला और वो फैसला अब ज्यादा दूर नहीं