उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में ईको डेवलपमेंट कमेटियां (EDC) न सिर्फ ईको टूरिज्म को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और विकास के नए रास्ते भी खोल रही हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप, वन एवं वन्यजीव विभाग ने इन कमेटियों का गठन किया है, जो पर्यावरण संरक्षण और समावेशी विकास के बेहतरीन उदाहरण बनकर उभर रही हैं।
क्या है ईडीसी का मकसद?
ईडीसी का मुख्य उद्देश्य टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों को विकास में भागीदार बनाना है। इन कमेटियों के जरिए युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें टूरिस्ट गाइड, कैंटीन संचालन, और जागरूकता अभियानों से जोड़ा जा रहा है।
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कहां-कहां हो रहा है संचालन?
- चूका (सेल्हा)
- बराही
- चौंका खेड़ा
इन इलाकों में फिलहाल 8 ईडीसी सक्रिय हैं, जो टाइगर रिजर्व फाउंडेशन की मदद से चल रही हैं।
रोजगार के साथ विकास
हर ईडीसी को सालाना करीब 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके जरिए न सिर्फ युवाओं को काम दिया जा रहा है, बल्कि गांवों में सड़क निर्माण, खड़ंजा, सोलर लाइट, और तालाब जैसे कार्य भी कराए जा रहे हैं।कमेटियों ने अब तक हर साल 6 से 10 लाख रुपये तक की आय अर्जित की है, जिसे गांवों के विकास कार्यों में लगाया जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी
ईडीसी पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को प्रकृति संरक्षण और जागरूकता से जोड़ रही हैं। यह मॉडल न सिर्फ सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा देता है, बल्कि गांवों को आत्मनिर्भर भी बना रहा है।
भविष्य की योजना
वन विभाग की योजना है कि इस मॉडल को अन्य टाइगर रिजर्व और वन क्षेत्रों में भी विस्तार दिया जाए। इससे और अधिक युवाओं को रोजगार, और स्थानीय विकास को नया आयाम मिलेगा।