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अब्बास अंसारी को लेकर अखिलेश का ऐलान , कहा कुछ ऐसा बीजेपी परेशान ?

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मऊ एक बार फिर सुर्खियों में है। सुभासपा के विधायक अब्बास अंसारी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव क्या अब्बास अंसारी के साथ मिलकर उपचुनाव लड़ेंगे?क्या मऊ की राजनीति में एक बार फिर से नया मोड़ आने वाला है?चलिए आपको पूरी खबर विस्तार से बताते हैं।

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दरअसल अखिलेश यादव अपने कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जिसमें उन्होंने अब्बास अंसारी को लेकर कई चौकाने वाले दावे किये हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से जब मीडिया ने सवाल किया —कि क्या आप अब्बास अंसारी के साथ उपचुनाव में जाएंगे?तो अखिलेश यादव ने बिना झिझक साफ़ कहा —’हां बिल्कुल, यह मेरा राजनीतिक फैसला है और समय आने पर इसे लिया जाएगा।’इस एक बयान ने यूपी की सियासत में हलचल मचा दी है।”इसके आलावा अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये सरकार जाति देखर कारवाई करती हैं। अब्बास अंसारी की विधायकी जाति की वजह से गयी हैं ,यानिकि कि अगर अब्बास मुख़्तार के बेटे और मुसलमान न होते तो उनकी विधायकी न जाती। अखिलेश यादव के इन सब बयानों को देखते हुए ये लग रहा है कि आने वाले उपचुनाव में अखिलेश अब्बास का साथ दे सकते हैं।अब्बास अंसारी फिलहाल जेल में हैं, लेकिन उनके नाम पर राजनीति आज भी गर्म है।उनकी पत्नी निकहत अंसारी जेल के भीतर उनसे कथित मुलाकात को लेकर चर्चा में रहीं हैं ,उनके ऊपर भी मुक़दमे दर्ज है ,,अब सवाल ये है कि जब अब्बास खुद जेल में हैं, तब अखिलेश यादव की ये राजनीतिक प्रतिबद्धता किस ओर इशारा कर रही है?”
“राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पूर्वांचल की राजनीति में मुस्लिम-ओबीसी गठजोड़ को मज़बूत करने के लिए अखिलेश यादव की ये रणनीति अहम साबित हो सकती है।मुख्तार अंसारी का प्रभाव आज भी मऊ, गाजीपुर और आस-पास के जिलों में है, और समाजवादी पार्टी इस जनाधार को अपने पक्ष में बनाए रखना चाहती है।

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कुछ लोग इसे अपराधियों को संरक्षण देने वाला बयान कह रहे हैं, तो समर्थक इसे सामाजिक न्याय और गठबंधन की राजनीति की मजबूती बता रहे हैं।”इसके अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी चुनावी मैदान में ताल ठोक सकती हैं ,नुसरत राजनीति में एक्टिव भी रही हैं ,लेकिन अब सवाल ये है —क्या अब्बास अंसारी की जगह उनकी पत्नी या परिवार का कोई सदस्य उपचुनाव में उम्मीदवार बनेगा?क्या अखिलेश यादव इस मुद्दे पर भाजपा के हमलों का सामना कर पाएंगे?एक बात तो तय है — 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यूपी की राजनीति में नए समीकरण बनते नज़र आ रहे हैं।और अब्बास अंसारी पर अखिलेश यादव का यह स्टैंड, सपा की रणनीति को एक नई दिशा दे सकता है।

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