“प्रयागराज के महाकुंभ को ‘आस्था का महोत्सव’ कहा गया… लेकिन इसी आस्था के बीच एक ऐसा सच भी दफन कर दिया गया जिसे सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। मौनी अमावस्या पर भगदड़ में सिर्फ 37 नहीं… कम से कम 82 लोगों की जान चली गई थी। ये खुलासा किया है बीबीसी की नई रिपोर्ट ने… और इससे सरकार के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।”बीबीसी हिन्दी की रिपोर्ट के अनुसार उस दिन कम से कम 82 लोगों की मौतें हुईं थीं. इनमें से 26 परिवार ऐसे मिले जिन्होंने भगदड़ में अपनों को खोया लेकिन उनके नाम मृतकों की सूची में शामिल नहीं किए गए.“उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महाकुंभ को अपनी बड़ी उपलब्धि बताती रही है।

खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि सिर्फ 37 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी और परिजनों को मुआवजा भी दिया गया। लेकिन नई पड़ताल से जो तथ्य सामने आए हैं, वो सरकार की इस तस्वीर को पूरी तरह झुठलाते हैं।”कई परिवार ऐसे है जिन्होंने अपने परिजन को खोया उनका ना नाम सूची में है ना ही कोई मुआवजा मिला,,,पीड़ित आज भी न्याय की राह देख रहे हैं“बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 50 से ज्यादा जिलों की पड़ताल में सौ से ज्यादा ऐसे परिवार मिले जिन्होंने कहा कि उन्होंने अपने परिजनों को भगदड़ में खोया, लेकिन उनका नाम तक सरकारी सूची में नहीं है।“हमें कहा गया कि दस्तखत कर दो, वरना केस नहीं बनेगा… हमारे आदमी की मौत भगदड़ में हुई थी, लेकिन सरकारी कागज में लिखा गया तबीयत खराब होने से मौत।वही इस नई रिपोर्ट को लेकर योगी सरकार अखिलेश यादव हमलावर हो गये हैं अखिलेश ने इस रिपोर्ट को लेकर लिखा कि सब देखें, सुनें, जानें-समझें और साझा करें। सत्य की केवल पड़ताल नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही ज़रूरी होता है।भाजपा आत्म-मंथन करे और भाजपाई भी और साथ ही उनके समर्थक भी कि जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वो झूठ के किस पाताल-पर्वत पर चढ़कर अपने को, अपने मिथ्या-साम्राज्य का मुखिया मान रहे हैं। झूठे आँकड़े देनेवाले ऐसे भाजपाइयों पर विश्वास भी विश्वास नहीं करेगा।सवाल सिर्फ़ आँकड़े छिपाने का नहीं है, सदन के पटल पर असत्य बोलने का भी है और इस बड़ी बात का भी है कि : – ’महाकुंभ मृत्यु-मुआवज़े’ में जो राशि नक़द दी गयी, वो कैश क्यों दी गयी?- वो कैश आया कहाँ से? – और जिनमें वो कैश वितरित नहीं हो पाया, वो कैश वापस गया किसके हाथ में? – नक़दी देने का निर्णय किस नियम के तहत हुआ? – नक़दी का वितरण किसके आदेश पर हुआ? – नक़दी के वितरण का लिखित आदेश कहाँ है? – नक़दी वितरण में क्या कोई अनियमितता हुई? इन सब के बाद अब अब सवाल उठ रहा है — क्या योगी सरकार ने जानबूझकर मौतों को छिपाया? क्या कुछ परिवारों को चुप कराने की कोशिश की गई? और जिनको मुआवजा मिला, क्या वो भी सही तरीके से मिला?”मौनी अमावस्या की सुबह जो भगदड़ मची, उसने दर्जनों घरों के चिराग बुझा दिए। लेकिन अब जब सच्चाई सामने आ रही है, तो क्या सरकार इन नए आंकड़ों की जांच कराएगी? या फिर इन परिवारों की आवाज एक बार फिर श्रद्धालुओं की भीड़ में ही दबा दी जाएगी?”