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क्या होता है ब्लैक बॉक्स? जिससे खुल जायेगा Plane Crash का पूरा सच?

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गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस दर्दनाक क्रैश में 265 लोगों की मौत हुई, जिनमें 12 क्रू मेंबर भी शामिल थे। अब इस हादसे की वजह जानने के लिए ब्लैक बॉक्स की जांच की जा रही है, जिसे NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) ने बरामद कर लिया है।

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ब्लैक बॉक्स कोई काला डिब्बा नहीं होता, बल्कि यह एक मजबूत डिवाइस होती है जो प्लेन में पीछे की तरफ फिट की जाती है। इसका असली रंग आमतौर पर नारंगी (Orange) होता है ताकि हादसे के बाद इसे आसानी से ढूंढा जा सके।ब्लैक बॉक्स के दो हिस्से होते हैं:पहला होता है CVR – यानिकि Cockpit Voice Recorder इसमें पायलट और को-पायलट की बातचीत रिकॉर्ड होती है।कॉकपिट के अंदर की हर आवाज जैसे अलार्म, चेतावनी, और आपसी बातचीत इसमें सेव होती है।दूसरे हिस्से का नाम FDR – यानिकि Flight Data Recorder होता है ,ये दूसरा हिस्सा विमान की तकनीकी जानकारी रिकॉर्ड करता है जैसे:प्लेन कितनी ऊंचाई पर था?कितनी स्पीड से उड़ रहा था?किस दिशा में था?इंजन की स्थिति क्या थी?अब सवाल उठता है कि हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स मदद कैसे करता है?तो इस का जवाब है कि जब विमान क्रैश होता है, तो ब्लैक बॉक्स में सेव हुआ डेटा यह बताता है कि हादसे से ठीक पहले क्या हुआ था।इससे पता चलता है कि पायलट ने क्या फैसला लिया, किस तकनीकी दिक्कत का सामना किया गया, और क्या कोई खराबी थी।इसे बहुत ही मजबूत मटेरियल से बनाया जाता है ताकि आग, पानी या तेज़ टक्कर में भी यह खराब न हो।इसमें एक लोकेशन सिग्नल भी होता है जो अगर ब्लैक बॉक्स पानी में गिर जाए, तो 30 दिन तक सिग्नल भेजता रहता है ताकि उसे ढूंढा जा सके।दुनिया के कई बड़े विमान हादसों की जांच ब्लैक बॉक्स की मदद से हुई है।इसके डेटा से एविएशन नियमों में बदलाव हुए, जिससे उड़ानों को और ज्यादा सुरक्षित बनाया गया।

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