दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। पिछली बार 62 सीटें जीतने वाली पार्टी इस बार महज 23 सीटों पर सिमट गई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे दिग्गज भी हार गए। हालांकि, वोटों के आंकड़ों पर नजर डालें तो AAP और बीजेपी के बीच का अंतर बहुत कम है।
- AAP को 43.78% वोट मिले, जबकि
- बीजेपी को 45.74% वोट मिले।
मतों का यह 2% से भी कम का अंतर सीटों के लिहाज से AAP के लिए भारी पड़ गया, और बीजेपी 47 सीटों के साथ बहुमत की सरकार बनाती दिख रही है।
अब सवाल उठता है कि AAP की हार का सबसे बड़ा कारण क्या रहा? कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस की मजबूत लड़ाई ने AAP को नुकसान पहुंचाया, तो कुछ का कहना है कि मुस्लिम वोटर्स का मोहभंग भी एक बड़ा कारण रहा।
क्या AAP से दूर हुए मुस्लिम वोटर्स? आंकड़े क्या कहते हैं?
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में 10 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 30% से अधिक है। इनमें से कुछ सीटों पर AAP ने अपनी पकड़ बनाई रखी, जबकि कुछ सीटों पर बीजेपी को फायदा हुआ।
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जहां 40% से ज्यादा मुस्लिम वोटर थे, वहां AAP का दबदबा
दिल्ली की 5 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 40% से अधिक है, और यहां AAP ने जीत दर्ज की या आगे रही। ये सीटें हैं:
- ओखला
- मटिया महल
- बल्लीमारान
- चांदनी चौक
- सीलमपुर
यहां से साफ जाहिर होता है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में अभी भी AAP का अच्छा प्रभाव है।
30% मुस्लिम वोटर्स वाली सीटों का खेल
अब बात उन 5 सीटों की, जहां मुस्लिम आबादी 30% के करीब है।
- रिठाला, मुस्तफाबाद और शहादरा – इन तीनों सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की (पिछली बार AAP के पास थीं)।
- बाबरपुर और सीलमपुर – इन सीटों पर AAP ने अपनी पकड़ बनाए रखी।
इससे साफ होता है कि कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों में AAP से वोटर्स का मोहभंग हुआ है।
ओखला में AAP की जीत, लेकिन घटता समर्थन!
AAP के अमानतुल्ला खान ने ओखला से जीत जरूर हासिल की, लेकिन उनके जीत का अंतर काफी घट गया।
- AIMIM के शिफाउर रहमान ने 38,000 से ज्यादा वोट बटोरे और दूसरे नंबर पर रहे।
- इससे साफ है कि ओवैसी की पार्टी AIMIM भी मुस्लिम वोटर्स में सेंध लगा रही है।
निष्कर्ष: क्या AAP के लिए खतरे की घंटी है?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन मुस्लिम वोटर्स का थोड़ा खिसकना एक बड़ा फैक्टर साबित हुआ।
- 40% से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर AAP मजबूत रही।
- लेकिन 30% मुस्लिम वोटर्स वाली तीन सीटें बीजेपी के खाते में चली गईं।
अगर AAP को भविष्य में अपनी स्थिति मजबूत करनी है, तो उसे अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने के लिए नई रणनीति अपनानी होगी।