समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए तीखे बयान दिए। राजधानी लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने प्रयागराज में हो रहे कुंभ के आयोजन का जिक्र करते हुए साधु-संतों से अपील की कि जब वे कुंभ से वापस जाएं, तो किसी “साथी” को भी साथ ले जाएं। अखिलेश ने सीधा नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर था।
Also Read-बसपा का ‘मिशन 2027’: राजनीतिक जमीन बचाने की नई रणनीति
योगी आदित्यनाथ को बताया बीजेपी का असली सदस्य नहीं
अखिलेश यादव ने दावा किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सदस्य ही नहीं हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के नेता सिर्फ सत्ता की राजनीति करते हैं और जनता के मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं देते।
संभल हिंसा को बताया ‘सरकार प्रायोजित दंगा’
अखिलेश यादव ने 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा को “सरकार द्वारा प्रायोजित” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस घटना में झूठे मुकदमे दर्ज किए गए और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया। जिनकी मौत हुई, वे प्रशासन की गोली से मारे गए।
उन्होंने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल घटना की जांच के लिए जाना चाहता था, लेकिन सरकार ने रोक लगा दी। हालांकि, बाद में अनुमति दी गई। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार पहले प्रतिनिधिमंडल को जाने से क्यों रोक रही थी?
मुस्लिमों के प्रति जताई सहानुभूति
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन ने मुस्लिमों पर अन्याय किया। जेल में बंद लोगों को बुरी तरह प्रताड़ित किया गया और उनके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान हैं। अधिकारियों ने दबाव बनाकर उनसे मनमुताबिक बयान दिलवाए।
बीजेपी को बताया ‘दरार वाली पार्टी’
अखिलेश ने कहा कि बीजेपी दरार फैलाने वाली पार्टी है, जिसे इंसानियत की परवाह नहीं है। उन्होंने कहा, “बीजेपी का मकसद समाज में विभाजन करना और वोटों की राजनीति करना है। ये सरकार न्याय देने में असफल है। भाजपा का शासन भ्रष्टाचार और अन्याय से भरा हुआ है।”
संभल घटना से ध्यान भटकाने का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बीजेपी भ्रष्टाचार के आरोपों और चुनावी वोट लूट को छुपाने के लिए संभल जैसी घटनाओं को अंजाम देती है। उन्होंने कहा कि इस सरकार के लिए सत्ता से बड़ा कुछ भी नहीं है।
अखिलेश यादव ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी आदित्यनाथ और बीजेपी पर करारा हमला करते हुए उन्हें जनविरोधी और अन्यायपूर्ण करार दिया। साथ ही, उन्होंने मुस्लिमों और अन्य कमजोर वर्गों के प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया।