समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव सोमवार को ईद-उल-फितर के मौके पर लखनऊ ईदगाह पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचने से पहले उनका काफिला रोक दिया गया। इस घटना पर अखिलेश ने योगी सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए इसे तानाशाही और इमरजेंसी जैसी स्थिति करार दिया।
अखिलेश यादव बोले – पहली बार ऐसा हुआ, क्या इमरजेंसी है?
ईदगाह के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान अखिलेश ने कहा, “मैं कई सालों से यहां आ रहा हूं, लेकिन पहली बार मेरा काफिला रोका गया। रास्ते में भारी बैरिकेडिंग की गई थी।” उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या सरकार यह दबाव बना रही है कि हम दूसरे धर्मों के त्योहारों में शामिल न हों? ऐसी बैरिकेडिंग पहले कभी नहीं देखी।”
उन्होंने आगे कहा, “पूरी व्यवस्था को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे देश में इमरजेंसी लगा दी गई हो। यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। बीजेपी संविधान के अनुसार नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से देश चला रही है।”
DCP का बयान – सुरक्षा कारणों से की गई थी बैरिकेडिंग
लखनऊ DCP पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने अखिलेश के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि ईद के मौके पर शहर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई थी। CCTV और ड्रोन कैमरों से निगरानी की जा रही थी और AI तकनीक से लैस सुरक्षा व्यवस्था तैनात थी।
Also Read-लुटेरों के सॉफ्ट टारगेट बनते जा रहे सर्राफा कारोबारी और उनके मुनीम
DCP ने कहा, “संभव है कि भीड़ ज्यादा होने के कारण कुछ गाड़ियां रोकी गई हों। हम इस मामले को देखेंगे।”
ममता बनर्जी का किया समर्थन
अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयानों का भी समर्थन किया और कहा कि बीजेपी देश में अल्पसंख्यकों को डराने और उनके अधिकारों को सीमित करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस भी अखिलेश के साथ
ईदगाह में अखिलेश यादव के साथ यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय भी मौजूद थे। यह साफ दिखा रहा था कि यूपी में विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहा है।
क्या यह राजनीतिक खेल या असल चिंता?
अखिलेश यादव की ईदगाह यात्रा और बैरिकेडिंग को लेकर उठे विवाद ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया सियासी मोड़ ला दिया है। बीजेपी पर तानाशाही का आरोप लगाने के साथ-साथ अखिलेश ने लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी इस पर क्या जवाब देती है और यह मामला कितना बड़ा रूप लेता है।