भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी, जिन्हें मार्च 2025 में अमेरिका के वर्जीनिया स्थित घर से आव्रजन अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था, अब दो महीने बाद हिरासत से रिहा कर दिया गया है। टेक्सास के डिटेंशन सेंटर में बिना किसी औपचारिक आरोप के बंद रहने के बाद बुधवार (14 मई) को अदालत के आदेश पर उनकी रिहाई हुई।
प्रो-फिलिस्तीन पोस्ट पर कार्रवाई, लेकिन कोर्ट ने दी राहत
सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं। उन पर आरोप था कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट हमास के समर्थन में हैं और उनकी पत्नी मेफेज सालेह के गाज़ा कनेक्शन को लेकर उनका वीजा रद्द कर दिया गया। अमेरिका ने हमास को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। लेकिन अदालत ने साफ किया कि सूरी की पोस्ट राजनीतिक अभिव्यक्ति का हिस्सा है, जो अमेरिकी संविधान के प्रथम संशोधन के तहत सुरक्षित है।
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हिरासत में अमानवीय बर्ताव का आरोप
रिहाई के बाद बदर खान सूरी ने बताया कि उन्हें जंजीरों में जकड़कर अमानवीय हालात में रखा गया। उन्होंने कहा, “मैं 7-8 दिन अपनी परछाई से बातें करता रहा। टखनों से लेकर कलाई तक जंजीरों में जकड़ा हुआ था।” जेल प्रशासन से संपर्क की कोशिशें भी नाकाम रहीं।
परिवार की भावनात्मक लड़ाई
सूरी की पत्नी मेफेज सालेह ने कहा, “मैं उस जज को गले लगाना चाहती हूं, जिसने मेरे बच्चों को उनके पिता वापस दिलाए।” उनका 9 साल का बेटा मानसिक तनाव में था, क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता कहां हैं।
अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा?
यह मामला अमेरिका में प्रो-फिलिस्तीन छात्रों और शिक्षकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उठ रहे सवालों को और तेज कर रहा है। इससे पहले भी टफ्ट्स और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र इसी तरह हिरासत में लिए जा चुके हैं और कोर्ट के आदेश पर रिहा हुए हैं।
संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन – CCR का बयान
सेंटर फॉर कॉन्स्टीट्यूशनल राइट्स (CCR) ने बयान में कहा, “यह मामला दिखाता है कि अमेरिका में कैसे आव्रजन कानूनों का राजनीतिकरण हो रहा है। यह सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी और नस्लीय भेदभाव का प्रतीक बन चुका है।”