मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में भ्रष्ट और आलसी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों और सचिवों को निर्देश दिया है कि वे मंत्रालयों के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए मिशन मोड में काम करें। यह निर्देश उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में दिया, जहां उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान को और तेज करने पर जोर दिया।
Also Read-बटेंगे तो कटेंगे: बांग्लादेश में हिंदू अत्याचार पर योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत की चेतावनी
प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय सचिवों से कहा कि वे खराब प्रदर्शन करने वाले और भ्रष्ट कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए सीसीएस (पेंशन) नियमों के तहत सख्त मूल्यांकन करें। उन्होंने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भाजपा की चुनावी सफलता का उदाहरण देते हुए जन शिकायतों के त्वरित समाधान और बेहतर शासन की आवश्यकता पर बल दिया।
‘जन शिकायतों का तुरंत समाधान हो’
प्रधानमंत्री ने शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि जन शिकायतों का त्वरित और व्यापक समाधान हो। उन्होंने कहा कि फाइलों को एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर धकेलने की बजाय समस्याओं का जल्द निवारण होना चाहिए। पीएम ने सचिवों से कहा कि वे हर हफ्ते एक दिन जन शिकायतों के समाधान के लिए निर्धारित करें, और राज्य मंत्री इनकी निगरानी करें।सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने बताया कि पिछले 10 सालों में पीएमओ को 4.5 करोड़ जन शिकायतें प्राप्त हुईं, जबकि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के अंतिम पांच वर्षों में केवल 5 लाख पत्र मिले थे। इससे जाहिर होता है कि अब लोग शिकायतों के समाधान को लेकर अधिक आशावान हैं। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि इनमें से करीब 40 प्रतिशत शिकायतें केंद्र सरकार से संबंधित थीं, जबकि बाकी 60 प्रतिशत राज्य सरकारों से जुड़ी थीं।