योगी आदित्यनाथ सरकार श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने की दिशा में बड़े कदम उठा रही है। इसी क्रम में ग्रेटर नोएडा और वाराणसी में नए ईएसआई मेडिकल कॉलेज खोलने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा मेरठ, बरेली, शाहजहांपुर और गोरखपुर जैसे शहरों में भी नए ईएसआई अस्पतालों का निर्माण कार्य तेजी से जारी है।
प्रदेश में 109 निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज, 12 नए औषधालयों की स्थापना और विशेष स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन के जरिए लाखों श्रमिकों और उनके परिजनों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। योजना के तहत टीबी की जांच और मुफ्त इलाज के लिए डॉट्स सेंटर भी सक्रिय हैं। साथ ही मेडिकल अवकाश प्रमाणीकरण और खर्च की प्रतिपूर्ति जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
चिकित्सा शिक्षा और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा
नई मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा, बल्कि प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को भी नया आयाम मिलेगा। अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरणों के लिए 2024-25 में ₹237.50 लाख और 2025-26 में ₹80.90 लाख की मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा, ई-ऑफिस सिस्टम लागू कर विभागीय कार्यप्रणाली को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है।
औद्योगिक विकास के साथ श्रमिक कल्याण भी प्राथमिकता
श्रमिकों को बेहतर सुविधा देने के साथ योगी सरकार औद्योगिक विकास में भी तेजी ला रही है। कारखाना अधिनियम के तहत पंजीकृत फैक्ट्रियों की संख्या बढ़कर 27,453 हो चुकी है, जो बीते 9 वर्षों में लगभग 100% वृद्धि को दर्शाता है। ऑनलाइन पंजीकरण, रीयल-टाइम निरीक्षण, और ऑटो-नवीनीकरण जैसे डिजिटल सुधारों से प्रदेश में निवेशकों और उद्यमियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है।
प्रभावी शासन का परिणाम: राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा
श्रम विभाग को ‘दर्पण डैशबोर्ड’ पर A+ रेटिंग और ई-ऑफिस में दूसरा स्थान मिला है। साथ ही, BRAP रैंकिंग में ‘टॉप अचीवर्स’ की श्रेणी में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि योगी सरकार के प्रयास प्रदेश को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर मजबूती से बढ़ा रहे हैं।