भारतीय जनता पार्टी ने रविवार कल (16 मार्च) को उत्तर प्रदेश के जिला अध्यक्षों व महानगर अध्यक्षों की सूची जारी कर दी. इस बार भाजपा ने कई जिलों में नए चेहरों को मौका दिया है, जबकि कुछ जनपदो मे पुराने नेताओं पर भरोसा बरकरार रखा है. पार्टी के इस कदम से संगठन को मजबूत करने और सामाजिक समीकरणों को साधने की रणनीति को भाजपा ने स्पष्ट किया है और भाजपा ने यूपी मे सियासत की चौसर बिछा दी है l
भाजपा ने सभी प्रमुख जातिगत समूहों को संगठन में शामिल कर सामाजिक आधार को मजबूत करने की कोशिश की है. कुल 70 जिला और महानगर अध्यक्षों में विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है. प्रदेश में आगामी वर्ष में पंचायत के चुनाव होने हैं उसके बाद विधानसभा का चुनाव होगा समाजवादी पार्टी के पिछड़ा अल्पसंख्यक दलित समीकरण से निपटने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की सूची में सामाजिक समीकरण का बखूबी ध्यान रखते हुए नाम का ऐलान किया है भारतीय जनता पार्टी ने आधी आबादी महिलाओं को भी मौका दिया है भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की सूची में आगे पिछड़े दलित और महिलाओं को भागीदारी दी गई इसके बाद माना जा रहा है कि भाजपा ने सामाजिक समीकरण के जरिए मतदाताओं के बीच साफ संदेश दे दिया है कि भाजपा भी सधे हुए समीकरण के साथ 2026 के पंचायत और 2027 की विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है
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सबसे ज्यादा ब्राह्मणों को जिम्मेदारी
भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष की सूची में सामान्य वर्ग यानी सवर्ण जाति का प्रतिनिधित्व बड़ी संख्या में देखने को मिल रहा है भारतीय जनता पार्टी के कोर वोटर सामान्य वर्ग मे भारतीय जनता पार्टी ने 39 नेताओं को जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की जिम्मेदारी दी है इनमें सबसे अधिक ब्राह्मण है सवर्ण जाति के 39 नेताओं को जगह मिली, जिनमें 19 ब्राह्मण, 10 ठाकुर, तीन कायस्थ, दो भूमिहार, चार वैश्य और एक पंजाबी शामिल हैं.
OBC के 25 नेताओं को कमान 6 अनुसूचित वर्ग से
ओबीसी वर्ग के 25 नेताओं को संगठन में स्थान दिया गया, जिसमें पांच कुर्मी, तीन पिछड़ा वैश्य, दो जाट, दो लोधी, दो मौर्य सहित यादव, बढ़ई, कश्यप, कुशवाहा, पाल, राजभर, सैनी, रस्तोगी, गुर्जर, भुजवा और तेली से एक-एक नेता शामिल हैं. एससी वर्ग के छह नेताओं को जिम्मेदारी दी गई, जिसमें पासी वर्ग से तीन और धोबी, कठेरिया, कोरी से एक-एक जिला अध्यक्ष बनाए गए.
25 जिलों में दोबारा मौका
इस सूची में 25 जिला अध्यक्षों को दोबारा मौका दिया गया है. खास बात यह है कि 11 ऐसे जिले, जहां भाजपा को हाल के चुनावों में हार मिली थी, वहां भी पुराने अध्यक्षों को बरकरार रखा गया. इनमें सीतापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, संभल, बदायूं, कन्नौज, रायबरेली, प्रतापगढ़, सोनभद्र, बस्ती और आंवला जैसे जिले शामिल हैं.
भाजपा ने इस बार युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया है. 70 जिला और महानगर अध्यक्षों में से 68 की उम्र 60 साल से कम है. ये कदम पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें संगठन में नई ऊर्जा और गतिशीलता लाने का लक्ष्य है.
भाजपा का दावा सपा का पीडीए केवल परिवारवाद हमने जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका दिया
भारतीय जनता पार्टी ने जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की सूची पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारतीय जनता पार्टी मैं कैडर के कार्यकर्ताओं को मौका दिया उन्हें उनकी मेहनत का सम्मान मिला यह वही कार्यकर्ता है जो वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे हैं इन्हें धरातल से जुड़कर राजनीति का अनुभव है समाजवादी पार्टी जी पिछड़े दलित अल्पसंख्यक समीकरण की बात करती है उसका वो पीडीए समीकरण केवल परिवार तक लागू होता है
अगर खुलकर काम करने को मिला तो ये सामाजिक समीकरण बेहद प्रभावी होगा
वरिष्ठ पत्रकार और लंबे समय से यूपी की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले दिनेश शर्मा बताते हैं कि अगर इन नव नियुक्त जिला अध्यक्षों को खुलकर काम करने का मौका मिला तो यह सामाजिक समीकरण जबरदस्त नतीजे में बदल सकता है वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शर्मा बताते हैं कि मौजूदा समय में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी मुकाबले में भारी है अगर इन जिला अध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों को खुलकर काम करने का मौका मिलता है तो भारतीय जनता पार्टी का यह सामाजिक समीकरण का प्रयोग कारगर साबित हो सकता है वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शर्मा बताते हैं कि भाजपा के तरकश में पहले ही कई सारे मास्टर स्ट्रोक हैं लेकिन अगर ये जातीय समीकरण सटीक बैठे तो भाजपा के लिए ये फायदेमंद साबित होगा l