मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संकट के समय ही व्यक्ति और संस्थान की असली पहचान होती है। जब अचानक चुनौतियां आती हैं, तो कई लोग बड़े-बड़े दावे करके पीछे हट जाते हैं, लेकिन वही लोग निखरते हैं, जो डटकर उनका सामना करते हैं। हमें बिखरना नहीं, बल्कि केजीएमयू के गौरव को और बढ़ाना है। ध्यान रखें, कोई भी मरीज यहां से निराश होकर न जाए।
मुख्यमंत्री ने केजीएमयू के 120वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में 67 मेधावी छात्रों को मेडल और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थानों में से एक है और इसकी यात्रा शानदार रही है। वर्ष 1905 में महज 10 लाख 75 हजार रुपये से शुरू हुआ यह संस्थान आज 100 एकड़ में फैला हुआ है और चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है।

अगले 100 वर्षों का लक्ष्य निर्धारित करना होगा
सीएम योगी ने कहा कि संस्थान को अगले 100 वर्षों का लक्ष्य तय करके आगे बढ़ना होगा। सरकार ने संस्थान को सभी जरूरी सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराया है, अब हमें सेवाओं को और बेहतर बनाना होगा। उन्होंने बताया कि कोरोना के दौरान केजीएमयू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप बेहतरीन काम किया। इसके परिणाम आज सबके सामने हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार ने केजीएमयू के लिए 300 करोड़ रुपये अत्याधुनिक मशीनों और लैब के लिए, 377 करोड़ रुपये सर्जरी डिपार्टमेंट की नई बिल्डिंग के लिए, 46 करोड़ फायर सिक्योरिटी और 70 करोड़ लारी कार्डियोलॉजी के विस्तार के लिए मंजूर किए हैं।
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“बीमारी चली जाती है, लेकिन व्यवहार याद रहता है”
मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों और स्टाफ से अपील की कि मरीजों के साथ संवेदनशील और सकारात्मक व्यवहार रखें। उन्होंने कहा कि बीमारी तो समय के साथ खत्म हो जाती है, लेकिन डॉक्टर और स्टाफ का व्यवहार मरीजों के दिलों में बस जाता है।
उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता बढ़ाने और इसके विस्तार पर जोर दिया। साथ ही, अंगदान के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए अवेयरनेस कैंप, होर्डिंग और पम्फलेट के माध्यम से जागरूकता फैलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग किसी और की जान बचा सकते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
सीएम ने कार्डियक सर्जरी, किडनी और अंग प्रत्यारोपण जैसी सेवाओं के विस्तार पर भी बल दिया और कहा कि केजीएमयू को इस दिशा में और अधिक तेजी से काम करना चाहिए।
संवेदना है डॉक्टर की सबसे बड़ी पूंजी
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरों के लिए उनकी सबसे बड़ी पूंजी उनकी संवेदनशीलता है। अगर डॉक्टर का व्यवहार अच्छा होगा, तो स्टाफ का व्यवहार भी बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उच्च मानक स्थापित करने की जरूरत है।
इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिह्न भेंट किया। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल, प्रतिकुलपति प्रोफेसर अपजित कौर और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।