पटना के बाहुबली और दानापुर के आरजेडी विधायक रीतलाल यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पटना पुलिस ने उनके खिलाफ रंगदारी मांगने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एक साथ 11 ठिकानों पर छापेमारी की। बिल्डर कुमार गौरव की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई, जिसमें आरोप लगाया गया है कि रीतलाल और उनके लोगों ने उनसे रंगदारी मांगी और जान से मारने की धमकी दी।
पुलिस ने कोर्ट से सर्च वारंट लेकर यह छापेमारी की, जिसमें भारी संख्या में पुलिस बल और ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया गया। दानापुर के कोथवां गांव स्थित आवास से लेकर अभियंता नगर तक कई ठिकानों पर तलाशी ली गई।
कौन हैं रीतलाल यादव?
पटना जिले के कोथवां गांव निवासी रीतलाल यादव का नाम बिहार के बड़े बाहुबलियों में शुमार है। 1990 के दशक से वे बालू माफिया के रूप में चर्चित रहे हैं और गंगा-सोन नदी में अवैध खनन पर उनका नियंत्रण बताया जाता है। कहा जाता है कि दानापुर रेलवे डिवीजन में कोई भी टेंडर इनकी मर्जी के बिना पास नहीं होता था।
राजनीतिक रूप से भी वे बेहद मजबूत हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं और तेजस्वी यादव से भी उनकी नजदीकियां हैं। साल 2016 में जेल में रहते हुए विधान परिषद के सदस्य बने और 2020 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
रीतलाल यादव का आपराधिक रिकॉर्ड
उनके खिलाफ कई संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। 2003 में भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या, चलती ट्रेन में दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या और छठ के दिन अपने विरोधी चुन्नू सिंह की हत्या के आरोपों से वे चर्चा में आए। हाल ही में एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें सत्यनारायण सिन्हा हत्याकांड से बरी कर दिया, लेकिन पीड़िता आशा देवी ने इस फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
परिवार भी विवादों से घिरा
रीतलाल के भाई पिंकू यादव पर भी गंभीर आरोप हैं। उन पर एम्स पटना के सिक्योरिटी ऑफिसर पर जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज है और वे फरार चल रहे हैं।
ईडी की जांच और जब्ती
प्रवर्तन निदेशालय ने रीतलाल यादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान करोड़ों की बेनामी संपत्तियों को जब्त किया है। छापेमारी में 11 लाख रुपये नकद, नोट गिनने की मशीन, पुराने स्टांप पेपर, जमीन के दस्तावेज और तीन बंदूकें बरामद की गईं।
रीतलाल का आरोप
रीतलाल यादव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि चुनाव से पहले 1000 पुलिसकर्मी बिना वारंट उनके घर पर छापेमारी करने पहुंच गए और उनके परिवार को परेशान किया जा रहा है।एक ओर रीतलाल यादव राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं, वहीं दूसरी ओर उनका नाम लगातार अपराध और विवादों से जुड़ा रहता है। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावों में यह विवाद उनके राजनीतिक करियर पर कैसा असर डालते हैं।