Home देश रक्षा सौदों में तेजी: अब नहीं लगेगा वर्षों का इंतजार!

रक्षा सौदों में तेजी: अब नहीं लगेगा वर्षों का इंतजार!

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भारत की रक्षा खरीद प्रक्रिया हमेशा से जटिल और लंबी रही है, जिसमें एक डील को फाइनल होने से लेकर हथियारों की डिलीवरी तक कई साल लग जाते हैं। इस देरी से देश की सुरक्षा तैयारियों पर असर पड़ता है, लेकिन अब यह समस्या जल्द खत्म होने वाली है। रक्षा मंत्रालय ने इस प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने नई गाइडलाइन को मंजूरी दी है, जिससे अब रक्षा खरीद प्रक्रिया को 2-3 साल से घटाकर सिर्फ 6 महीने में पूरा करने की योजना बनाई जा रही है।

कैसे होती है रक्षा खरीद प्रक्रिया?

अब तक, रक्षा खरीद की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती थी:

  1. RFI (रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन): पहले सैन्य जरूरतों के अनुसार संभावित विकल्पों का अध्ययन किया जाता है।
  2. AON (एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी): सेना अपनी जरूरतें रक्षा खरीद परिषद (DAC) के सामने रखती है। मंजूरी मिलने पर प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
  3. RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल): कंपनियों से टेंडर आमंत्रित किए जाते हैं और बिडिंग प्रक्रिया शुरू होती है।
  4. ट्रायल और शॉर्टलिस्टिंग: सेना की जरूरतों को पूरा करने वाले उपकरणों का परीक्षण किया जाता है।
  5. बिडिंग और कीमत पर मोलभाव (CNC): सबसे कम कीमत वाली कंपनी (L1) को चुना जाता है।
  6. अंतिम मंजूरी (CCS): प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट (CCS) अंतिम मंजूरी देती है।
  7. डील साइन होने के बाद डिलीवरी प्रक्रिया शुरू होती है

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लंबे समय से अटकी डील: MMRCA से MRFA तक का सफर

भारत की वायुसेना को नए फाइटर जेट्स की जरूरत है, लेकिन MMRCA (मीडियम मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) डील की कहानी 2001 से चली आ रही है।

  • 2001: पहली बार 126 फाइटर जेट्स खरीदने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई।
  • 2007: टेंडर जारी हुआ और 2008 में 6 कंपनियों ने बिडिंग की।
  • 2009-2010: ट्रायल पूरे हुए, जिसमें यूरोफाइटर टाइफून और राफेल फाइनल हुए।
  • 2012: फ्रांस के राफेल को लोएस्ट बिडर के रूप में चुना गया।
  • 2014: चुनावी माहौल और बढ़ती कीमतों के चलते डील लटक गई।
  • 2015: भारत ने 126 की जगह सिर्फ 36 राफेल फाइटर जेट्स खरीदने का फैसला लिया।

अब MMRCA को MRFA (मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) के रूप में दोबारा पेश किया गया है, जिसमें 114 फाइटर जेट्स खरीदे जाने हैं।

मौजूदा रक्षा सौदे: तेजी से आगे बढ़ रही हैं डील्स

  • भारतीय नौसेना के लिए राफेल M फाइटर जेट्स की खरीद प्रक्रिया जारी है।
  • 2017: भारत ने 57 डेक-बेस्ड फाइटर जेट्स के लिए RFI जारी किया, जिसे बाद में 26 तक सीमित कर दिया गया।
  • 2023: रक्षा मंत्रालय ने राफेल M की खरीद को मंजूरी दी, अब केवल कीमत पर बातचीत बाकी है।
  • अमेरिका से 31 MQ-9B ड्रोन की खरीद का समझौता हो चुका है, लेकिन पहला ड्रोन मिलने में अभी 4 साल लगेंगे।
  • 3 स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन को भी अंतिम मंजूरी का इंतजार है।

क्या बदलेगा नई नीति से?

नई रक्षा खरीद गाइडलाइन से न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि देश की रक्षा क्षमताओं में तेजी से इजाफा होगा। अब फील्ड इवैल्यूएशन और प्राइस नेगोशिएशन में लगने वाला समय कम किया जाएगा, जिससे सेना को जल्द से जल्द आधुनिक हथियार और रक्षा उपकरण मिल सकें।

निष्कर्ष

भारत की रक्षा खरीद प्रणाली में तेजी लाने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी, और अब सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। जल्द ही लंबी लटकी सैन्य डील्स पूरी होंगी, जिससे भारतीय सेना और अधिक सशक्त होगी।

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