लोकसभा चुनाव में बहुमत से चूकने और हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार के बाद, I.N.D.I.A. ब्लॉक अब बिखराव की ओर बढ़ रहा है। सबसे पहले टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती दी। इसके बाद लालू यादव, अखिलेश यादव, शरद पवार, और उद्धव ठाकरे ने ममता के नेतृत्व पर सहमति जताई। वहीं, आप (AAP) ने दिल्ली में कांग्रेस को दुश्मन मानते हुए अपनी अलग राह पकड़ ली। अब तेजस्वी यादव ने इंडिया ब्लॉक को सिर्फ लोकसभा चुनाव तक की व्यवस्था करार देकर इसके अंत की बात कह दी है।
2019 से अब तक: विपक्षी एकता की असफल कोशिशें
2019 से भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के कई प्रयास हुए, लेकिन हर बार यह अधूरा रह गया।
- 2019: चंद्रबाबू नायडू ने मोर्चा बनाने की पहल की, लेकिन नाकाम रहे।
- 2021: ममता बनर्जी ने बंगाल जीतने के बाद कोशिश की, लेकिन समर्थन नहीं मिला।
- 2022: नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन की बागडोर संभाली, पर 2024 से पहले ही भाजपा के साथ लौट गए।
लोकसभा चुनावों में I.N.D.I.A. ब्लॉक बहुमत से चूक गया, जिससे इसकी नींव कमजोर हो गई।
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ममता बनर्जी का विरोध और गठबंधन में दरार
सबसे पहले ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक में बिखराव की शुरुआत की। जहां अन्य राज्यों में गठबंधन हुआ, वहीं बंगाल में टीएमसी ने कांग्रेस और वाम दलों से दूरी बना ली। ममता ने साबित किया कि भाजपा को हराने के लिए वह अकेले काफी हैं। टीएमसी ने 22 सीटों पर जीत दर्ज कर चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनने का रिकॉर्ड कायम किया।
बिहार में आरजेडी-कांग्रेस की तकरार
बिहार में आरजेडी कांग्रेस को 2020 की तरह ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है।
- 2020 में कांग्रेस को 70 सीटें दी गई थीं, लेकिन उसने सिर्फ 19 सीटें जीतीं।
- तेजस्वी यादव को अब तक मलाल है कि कांग्रेस की वजह से आरजेडी मुख्यमंत्री पद से चूक गई।
अब कांग्रेस के नेता पहले ही 70 सीटों की मांग कर चुके हैं। वहीं, कांग्रेस के एक नेता ने तो दो डिप्टी सीएम बनाने की बात कह दी है, जिससे आरजेडी और कांग्रेस के बीच तनाव और बढ़ गया है।
लालू और तेजस्वी का बदला रुख
लालू यादव ने हाल ही में ममता बनर्जी के नेतृत्व का समर्थन किया। तेजस्वी ने इंडिया ब्लॉक के अस्तित्व पर ही सवाल उठाकर साफ कर दिया कि गठबंधन में उनके लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं बची है।
18 जनवरी को लालू यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है, जबकि उसी दिन राहुल गांधी भी पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। तेजस्वी को शायद पहले ही यह अंदेशा हो गया कि कांग्रेस सीटों को लेकर दबाव बना सकती है। उन्होंने अपने बयान से कांग्रेस को संकेत दे दिया है कि अब आरजेडी अपने दम पर फैसले लेगी।
गठबंधन का भविष्य अंधकार में
I.N.D.I.A. ब्लॉक में सीटों को लेकर बढ़ती खींचतान और आपसी मतभेद इसे बिखराव की ओर ले जा रहे हैं। तेजस्वी के बयान ने यह साफ कर दिया है कि विपक्षी एकता का सपना अब धुंधला पड़ चुका है।