मुझे लगा था कि अब मैं मरने वाला हूं…लेकिन फिर जो हुआ, वो किसी चमत्कार से कम नहीं था,अहमदाबाद में हुए भयानक विमान हादसे के बाद जब चारों ओर सिर्फ मलबा, लाशें और धुआं था, उसी समय एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आए 40 साल के भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक विश्वास रमेश कुमार।लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ़ के सिर्फ 35 सेकंड बाद ही गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे — जिनमें से 241 की मौत हो गई। लेकिन चमत्कारिक रूप से एक अकेला व्यक्ति विश्वास कुमार उस मंजर से जिंदा बाहर निकल आया।जब लोगों ने मलबे के ढेर से एक इंसान को अपने पैरों पर चलते हुए बाहर आते देखा, तो किसी को भी अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ।
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वह शख़्स विश्वास थे। धुएं, चीखों और लाशों के बीच एक जिंदा इंसान का होना, मानो ऊपरवाले की तरफ़ से कोई संदेश था।विश्वास की आंखों से छलकते आंसुओं और कांपती आवाज में उन्होंने बताया,“उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद तेज आवाज आई… और अचानक सब चिल्लाने लगे। फिर मुझे कुछ याद नहीं… जब होश आया तो मैं खुद को लाशों के बीच पाया। मेरी सीट के चारों ओर हर कोई मरा पड़ा था। सब कुछ जल रहा था। मुझे लगा अब मेरी भी बारी है… मैं मरने वाला हूं। लेकिन किसी तरह मेरी आंख खुली, मैंने सीट बेल्ट खोली और निकलने की कोशिश की। मैं बस भागा… और फिर किसी ने मुझे एंबुलेंस में पहुंचाया।उन्होंने आगे कहा“मेरी आंखों के सामने एयर होस्टेस की जान गई, मेरे ठीक बगल वाली सीट के लोग जल गए… और मैं अकेला बच गया। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।”आज भी विश्वास का चेहरा सहमा हुआ है, लेकिन उनकी आंखों में जिंदगी के लिए एक नई कृतज्ञता है।यह हादसा हमें यह सिखाता है कि ज़िंदगी पल भर में बदल सकती है, और जब किस्मत साथ देती है तो मौत भी पास आकर लौट जाती है।