लखनऊ -: 2027 चुनाव को लेकर लखनऊ में बैठक की हुई । जिसमें कानपुर-बुंदेलखंड की सभी 17 जिलों पर वार्ता की गई जिससे ये माना जा रहा हैं,कि ज्यादातर जिलों के अध्यक्षों का चुनाव हो जाएगा..तो वहीं कानपुर में भाजपा के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा के लिए अभी लंम्बा इंतजार करना पड़ेगा

आपको बता दें,कि BJP जिलाध्यक्षों की सूची 25 जनवरी तक घोषित होने की संम्भावना हैं ।और इस बैठक में प्रदेश के कई जिलों पर अभी सहमति नहीं बन पाई हैं।लेकिन कानपुर देहात और कानपुर महानगर की सभी जिला इकाइयों पर चर्चा पूरी हो चुकी हैं । जिसमें संघ से चर्चा के बाद फाइनल सूची को दिल्ली भेजा जाएगा । जहां से इसे जारी किया जाएगा । कानपुर देहात और कानपुर महानगर की चार इकाइयों में दो में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं ।जिलाध्यक्षों का चुनाव होने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुने जाने की कवायद शुरू होगी।और ये तब संभव हो पाएगा ।जब प्रदेश की सभी जिला इकाइयों में से 50 प्रतिशत जिलों के चुनाव पूरे हो जाएंगे ।
2027 के चुनाव को लेकर देहात-महानगर की दो इकाइयों में बदलाव हो सकता हैं..मुख्य कारण ये हैं,कि कार्यकर्ताओं के कम जुड़ने से ये बदलाव किया जा रहा हैं.
कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी 17 जिला इकाइयों में से 80 प्रतिशत से अधिक जिलाध्यक्षों के नाम पहली सूची में ही घोषित कर दिए जाएंगे ।तो वहीं भाजपा जिलाध्यक्षों के लिए पांच-पांच नाम के पैनल बनाए गए थे..जिसे छोटा करके अब पैनल में तीन-तीन नाम की नई सूची बनाई गई हैं ।जिसपर किसी एक संघ और पार्टी हाईकमान कमान की मुहर लगेगी ।

तो वहीं अध्यक्ष पद पर कौन चुना जाएगा.और इसके लिए दावेदार की उम्र के साथ उनके काम और छवि को प्राथमिकता दी जायेगी..इतना ही नहीं पिछले कुछ सालों में पार्टी की ओर से जो भी अभियान चलाए गए हैं.उसमें दावेदारों की भूमिका कैसी रही है, इसे भी देखा गया हैं.2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिला इकाइयों का गठन करने में पिछड़ों और अनुसूचित जातियों पर भी पार्टी फोकस कर रही हैं.पिछड़ों और अनुसूचित बिरादरी के जिलाध्यक्ष की संख्या कुल जिला इकाइयों का कम से कम 50 प्रतिशत रहेगी
अगर हम बात करें, कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की,तो कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में 17 जिलों में यहां पर आठ या नौ जिलों में पिछड़ों और अनुसूचित बिरादरी इन्हीं दोनों बिरादरी के पार्टी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी ।पार्टी इस पर इस वजह से भी विशेष फोकस कर रही है, क्योंकि विपक्षी दल संविधान बचाओ को लेकर लोकसभा चुनाव से ही काफी सक्रिय हैं ।ऐसे में भाजपा कोई छोड़ना चाहती है ।