गोरखपुर स्थित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय (एमजीयूजी) ने महज चार साल में ही उल्लेखनीय उपलब्धियों का सफर तय किया है। आधुनिक शिक्षा, प्राचीन चिकित्सा पद्धति और रोजगारपरक कोर्सेस के संगम के रूप में यह विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का एक उभरता हुआ शिक्षा केंद्र बन चुका है।28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उद्घाटन के बाद, अब 1 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु विश्वविद्यालय में अकादमिक भवन, 1500 सीटों वाले ऑडिटोरियम, विश्वस्तरीय पंचकर्म केंद्र का उद्घाटन करेंगी और 1000 छात्राओं की क्षमता वाले गर्ल्स हॉस्टल का शिलान्यास करेंगी।
विविध और रोजगारपरक कोर्सेस
एमजीयूजी में एमबीबीएस, बीएएमएस, नर्सिंग, पैरामेडिकल, फार्मेसी, एलायड हेल्थ साइंसेज, एग्रीकल्चर और बिजनेस मैनेजमेंट जैसे विषयों में डिप्लोमा से लेकर मास्टर डिग्री तक के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं।यहां के सभी पाठ्यक्रम रोजगार उन्मुख हैं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप तैयार किए गए हैं।
शोध और नवाचार को बढ़ावा
विश्वविद्यालय ने शिक्षा, चिकित्सा, कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में देश-विदेश के प्रमुख संस्थानों के साथ 20 से अधिक एमओयू किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- एम्स गोरखपुर
- केजीएमयू लखनऊ
- लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय, नेपाल
- आईसीएआर और सीएसआईआर के प्रमुख शोध संस्थान
- इंडो-यूरोपियन चैंबर ऑफ एसएमई
- भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद
- अन्य कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और शोध केंद्र
इन साझेदारियों के माध्यम से विश्वविद्यालय स्टार्टअप्स, इनोवेशन और विश्वस्तरीय शोध को प्रोत्साहित कर रहा है।
विचारधारा और विजन
कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव के अनुसार, विश्वविद्यालय की नींव में महंत दिग्विजयनाथ जी और महंत अवेद्यनाथ जी जैसे युगपुरुषों के विचार हैं, जिन्होंने शिक्षा को स्वावलंबन और सामाजिक विकास का सबसे प्रभावशाली माध्यम माना।वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं, उसी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका सपना है कि 2032 तक गोरखपुर को ‘नॉलेज सिटी’ के रूप में विकसित किया जाए, जिसमें एमजीयूजी मील का पत्थर साबित होगा।