Home Political news सीसामऊ विधानसभा पर राजनीति तेज ,कौन मारेगा बाजी हो गया बड़ा खुलासा

सीसामऊ विधानसभा पर राजनीति तेज ,कौन मारेगा बाजी हो गया बड़ा खुलासा

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उत्तर प्रदेश में इस वक्त 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा हैं ,जिसको लेकर सभी पार्टिया अपनी अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की रणनीति तैयार की जा रही है। समाजवादी पार्टी ने यूपी चुनाव 2022 में इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था। यहां से इरफान सोलंकी जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे।

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पिछले दोनों एक महिला के घर को जलाने के मामले में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद इरफान सोलंकी की विधायकी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत समाप्त हो गई। उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के तहत सीसामऊ में भी चुनावी प्रक्रिया चल रही है। यहां से समाजवादी पार्टी ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को चुनावी मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा और बसपा के उम्मीदवार से हो सकता है। वही भाजपा ने अपने प्रत्याशी के तौर पर सुरेश अवस्थी को चुनावी मैदान में उतारा है ,,,माना जा रहा है कि इस बार भी ये मुकाबला सीधे तौर पर सपा और भाजपा के उम्मीदवार के बीच है। इसलिए इस सीट पर राजनीति गरमाई हुई है। इरफान सोलंकी का इस सीट पर खासा दबदबा दिखता है। हालांकि, लोकसभा चुनावों में इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है । यहां से भाजपा उम्मीदवार को बढ़त भी मिलती दिखी है। ऐसे में उपचुनाव का रण बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।इस सीट की जातीय समीकरण भी हार जीत का कारण बनती रही है ,,सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में एक अनुमान के मुताबिक, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 1,11,000 है। इसके बाद ब्राह्मण वोटर करीब 70 हजार हैं। तीसरे स्थान पर दलित वोटर आते हैं और उनकी संख्या करीब 60 हजार है। इनके अलावा कायस्थ 26 हजार, सिंधी एवं पंजाबी 6 हजार, क्षत्रिय 6 हजार और अन्य पिछड़ा वर्ग 12,411 वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं।सबसे बड़ी बात ये भी है कि यूपी विधानसभा की सीसामऊ सीट पर भाजपा को पिछले 28 सालों से हार का सामना करना पड़ रहा है. भाजपा आखिरी बार इस सीट पर 1996 में जीत हासिल करने में सफल रही थी. इस सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स होने की वदह से यहां पर भाजपा का कड़ा इम्तेहान होता रहा हैं ,इस उपचुनाव में भी बीजेपी की मुश्किलें कम नहीं है ,,वजह एक ये भी है कि बीजेपी ने जहां ब्राह्मण चेहरे के ऊपर दांव खेला है वहीं बसपा ने भी ब्राह्मण वीरेंद्र शुक्ला पर दांव खेला है ,इसलिए यहाँ बीजेपी और बसपा में वोट बटवारा हो सकता है और इसका पूरा फ़ायदा नसीम सोलंकी को मिल जाये ,,

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