अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वे की मांग पर अदालत में याचिका स्वीकार होने के बाद, इस दरगाह को लेकर लोगों में जानने की उत्सुकता बढ़ गई है। हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर कर दावा किया है कि अजमेर शरीफ दरगाह की जगह पहले एक शिव मंदिर था। अदालत के इस फैसले से स्थानीय लोग हैरान हैं।
राजस्थान की बीजेपी सरकार ने हाल ही में अजमेर के प्रसिद्ध होटल “खादिम” का नाम बदलकर “अजयमेरु” कर दिया है। अजमेर शरीफ दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि है, जिन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है।ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर हर साल हजारों श्रद्धालु दरगाह पर आते हैं। अगले साल जनवरी में यहां 813वां उर्स मनाया जाएगा। ख्वाजा साहब की दरगाह से मुगल सम्राट अकबर को भी गहरा लगाव था।
अजमेर शरीफ दरगाह एक महत्वपूर्ण सूफी स्थल है, जहां भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों से लोग श्रद्धा के साथ आते हैं। यह दरगाह न केवल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद खास मानी जाती है। हर साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दरगाह पर अपनी चादर भेजकर श्रद्धा प्रकट करते हैं।
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मार्च 2016 में वर्ल्ड सूफी फोरम का आयोजन किया गया, जिसमें 20 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था, “ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुसार, ईश्वर को सबसे प्रिय इबादत वह है, जिसमें दीन-दुखियों और शोषितों की मदद की जाती है।”
प्रधानमंत्री ने सूफीवाद की तारीफ करते हुए इसे शांति, करुणा और समानता की आवाज बताया। उन्होंने कहा कि सूफीवाद केवल आतंकवाद के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह भाईचारे और ‘सबका साथ, सबका विकास’ का संदेश भी देता है।
इस साल अगस्त में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि भारत की सूफी विरासत सदियों से हमारी “विविधता में एकता” की परंपरा की गवाह रही है। उन्होंने मोदी सरकार के प्रस्तावित सूफी कॉरिडोर प्रोजेक्ट की जानकारी भी दी। यह कॉरिडोर अजमेर से शुरू होकर देशभर की सूफी दरगाहों को बेहतर बुनियादी ढांचे से जोड़ने के उद्देश्य से बनाया जाएगा।
अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, विशेषकर पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत करने में। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा इस दरगाह पर चादर भेज चुके हैं, वहीं पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ, जनरल जिया उल हक, पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भी यहां आ चुके हैं। इसके अलावा, भारत के कई प्रमुख राजनेता, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और बॉलीवुड हस्तियां भी समय-समय पर इस पवित्र स्थल के दर्शन करते रहे हैं।
अजमेर शरीफ की दरगाह मुस्लिम समुदाय तक राजनीतिक पहुंच का एक माध्यम भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीजेपी के प्रमुख मुस्लिम नेताओं के जरिए इस दरगाह पर चादर भेजना इसका स्पष्ट उदाहरण है। हालांकि, जब हिंदू सेना की याचिका को स्थानीय अदालत ने स्वीकार कर नोटिस जारी किया, तो यह खबर अजमेर के लोगों को चौंका देने वाली लगी।
हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में दावा किया कि ब्रिटिश शासन के दौरान अहम पद पर रहे हर बिलास सारदा ने 1910 में लिखा था कि अजमेर में दरगाह की जगह पर एक हिंदू मंदिर था। गुप्ता का कहना है कि यह दरगाह हिंदू और जैन मंदिरों को ध्वस्त करके बनाई गई थी।
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों के अनुसार, करीब 50 साल पहले तक वहां एक पुजारी पूजा करते थे और वहां शिवलिंग भी मौजूद था। इसलिए उनका मानना है कि इस स्थान का सर्वे होना चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
गुप्ता ने यह भी कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म यहां नहीं हुआ था और वे इस क्षेत्र से संबंधित नहीं थे। उन्होंने सवाल उठाया कि ख्वाजा से पहले इस स्थान पर कौन था? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह जगह राजा पृथ्वीराज चौहान की थी और इसे अजयमेरु के नाम से जाना जाता था।
हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि अजमेर शरीफ की दरगाह करीब 800 साल पुरानी है। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर अब तक सभी प्रधानमंत्रियों ने इस दरगाह के लिए चादर भेजी है। ओवैसी ने सवाल उठाया कि लोअर कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 का पालन क्यों नहीं कर रही है? यह कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 को किसी भी पूजा स्थल का जो धार्मिक स्वरूप था, उसे वैसा ही बनाए रखना चाहिए।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अजमेर दरगाह पर पूरी दुनिया के लोग चादर चढ़ाने आते हैं। जवाहरलाल नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक ने यहां चादर भेजी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस के लोग अदालत में केस दर्ज कर रहे हैं, जिससे गलत संदेश जा रहा है। गहलोत ने कहा कि इनकी वजह से समाज में नफरत और दूरियां बढ़ रही हैं।