मुंबई 24 अक्टूबर– महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि नजदीक आ रही है, और राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने बुधवार को एक समझौता फॉर्मूला पेश किया है, जिसके तहत विवादित सीटों को फिलहाल अलग रखते हुए 288 में से 255 सीटों पर बंटवारा तय हो गया है। इसमें तीनों दलों—कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (UBT)—को 85-85 सीटें मिली हैं। महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा, और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
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दो दिनों की मैराथन बैठकों के बाद भी 33 सीटों पर अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इस सीट-बंटवारे में सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को लगा है, जो कभी महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े भाई की भूमिका निभाती थी। अब कांग्रेस को पहले से काफी कम सीटों पर समझौता करना पड़ रहा है। सवाल उठता है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी इस हालत में क्यों पहुंच गई, और उसे इतनी कम सीटों पर समझौता करने की मजबूरी क्यों हो रही है।
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (UBT) ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने की घोषणा की। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, “हमने 270 सीटों पर सहमति बना ली है और 85-85-85 के फॉर्मूले पर सहमति जताई है।” हालांकि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह बंटवारा अभी अंतिम नहीं है, और कांग्रेस कम से कम 105 सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश करेगी।पहले के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने हमेशा ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार शरद पवार की एनसीपी 85 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद गठबंधन की बड़ी ताकत के रूप में उभर सकती है। यदि एमवीए चुनाव जीतता है, तो एनसीपी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकती है, जिससे शरद पवार गठबंधन के ‘बड़े भाई’ की भूमिका में दिख सकते हैं।