दुनिया दो विश्व युद्धों का सामना कर चुकी है, जिनमें व्यापक जानमाल का नुकसान हुआ था। भविष्य में ऐसे हालात न बनें, इसके लिए एक स्थायी व्यवस्था विकसित करने की कोशिश की गई थी। लेकिन अब दशकों बाद, दुनिया एक बार फिर विश्व युद्ध के कगार पर नजर आ रही है। पश्चिम एशिया युद्ध का मैदान बना हुआ है, और पूर्वी एशिया में भी तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो रही है। चीन लंबे समय से दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर दावा करता आ रहा है और यहां कृत्रिम तरीके से हवाई अड्डे भी बना चुका है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे मुक्त नौवहन के खिलाफ मानता है। इसके अलावा, चीन का आक्रामक रवैया ताइवान पर भी दिखाई देता है, जिसे वह अपना हिस्सा मानता है। चीन के जापान और फिलीपींस सहित कई देशों के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं। अब इस क्षेत्र में अमेरिका, ब्रिटेन, और ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतें भी अपनी सेनाएं तैनात कर रही हैं।
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चीन ने हाल ही में ताइवान के पास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया था, जिसमें युद्धपोत, लड़ाकू विमान और ड्रोन शामिल थे। इससे ताइवान और वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ गई थी। अब अमेरिका और फिलीपींस ने संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘वेनम’ शुरू किया है, जिसका उद्देश्य आक्रमण की स्थिति में फिलीपींस के उत्तरी तट की रक्षा करना है। लुजॉन द्वीप, जहां यह अभ्यास हो रहा है, ताइवान से केवल 800 किलोमीटर की दूरी पर है।
कुछ समय पहले दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के जहाजों की टक्कर से सैन्य टकराव की स्थिति बन गई थी। अब अमेरिका और फिलीपींस पलावन द्वीप पर भी सैन्य अभ्यास कर रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। इसमें अमेरिका और फिलीपींस के 1,000-1,000 सैनिक भाग ले रहे हैं, साथ ही ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया के सैनिक भी शामिल हैं।
ताइवान और चीन के बीच भी तनाव बढ़ता जा रहा है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 25 घंटे में 153 चीनी विमान ताइवान के एयरस्पेस से गुजरे हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। वहीं, भारत का रुख इस मामले में स्पष्ट रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लाओस दौरे के दौरान भी इस पर अपना पक्ष रखा था।