बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बड़ा बयान दिया है। रविवार को लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता में मायावती ने कहा कि यदि बीजेपी अगले 2-3 दिनों में ‘एक देश, एक चुनाव’ का बिल पेश करती है, तो बीएसपी इसका समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि संसद में इस समय गरमा-गरम बहस चल रही है, लेकिन यह चर्चा तभी सार्थक होगी, जब जरूरतमंद और पात्र लोगों को उनके अधिकार मिलेंगे। मायावती ने यह टिप्पणी संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर संसद में चल रही चर्चा के संदर्भ में की। प्रेस वार्ता में मायावती ने भाजपा से अधिक कांग्रेस और सपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इस्तीफा दिया और लोकसभा में अपनी बात रखनी चाहिए थी, तब कांग्रेस ने उन्हें बोलने तक नहीं दिया। इसके चलते बाबा साहब को अपनी बात मीडिया के माध्यम से रखनी पड़ी। मायावती ने आगे कहा, “कांग्रेस की सरकार होते हुए भी, बाबा साहब को पात्र होने के बावजूद भारत रत्न नहीं दिया गया। इतना ही नहीं, मान्यवर काशीराम के निधन पर कांग्रेस ने एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया।”
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बसपा प्रमुख मायावती ने संसद में चल रही संविधान पर चर्चा को लेकर एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के मुद्दों पर सरकारों और पार्टियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “आरक्षण और इन वर्गों के अधिकारों को लेकर जो बातें कही जा रही हैं, उनमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।” मायावती ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान, सपा ने प्रमोशन में आरक्षण बिल को संसद में फाड़कर फेंक दिया था।इस कदम का बसपा ने भारी विरोध किया और इस बिल को पास कराने के लिए भरसक प्रयास किया। हालांकि, मायावती ने अफसोस जताते हुए कहा कि “कांग्रेस और सपा की नीतियों और रवैये के कारण यह बिल आज तक पास नहीं हो सका।” उनके इस बयान ने एससी-एसटी और ओबीसी के मुद्दों पर कांग्रेस और सपा की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सत्ताधारी पार्टियों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर उन्होंने संविधान के नियमों का ईमानदारी और देशभक्ति के साथ पालन किया होता, तो आज देश इस हालत में नहीं होता। उन्होंने कहा, “आज 80 करोड़ लोग बेरोजगारी के कारण अनाज और रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छात्र, युवा, किसान, मजदूर और महिलाएं अपनी समस्याओं से परेशान हैं। अगर रोजगार पर गंभीरता से काम हुआ होता, तो ये हालात पैदा नहीं होते।”
मायावती ने बिना किसी का नाम लिए कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “संविधान विफल नहीं हुआ है, बल्कि देश में सरकार चलाने वाले लोगों और पार्टियों ने इसे फेल करने का काम किया है।” संसद में संविधान पर चर्चा को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा केवल एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रही हैं। आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “सत्ताधारी पार्टियां कोर्ट की आड़ लेकर आरक्षण पर हमला कर रही हैं। यह मामला फिर से ढाक के तीन पात बनकर रह जाएगा।” बसपा प्रमुख ने कहा कि “संविधान का राजनीतिकरण करके सत्ताधारी दल अपने निजी स्वार्थ साधने में लगे हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “बसपा किसी भी ऐसे संविधान संशोधन का समर्थन नहीं करेगी, जिसका उद्देश्य किसी खास संस्थान या वर्ग को फायदा पहुंचाना हो।”