देश में इस वक्त सियासी पारा अपने चरम पर हैं ,,बजह कई हैं ,देश में कही मंदिर मस्जिद का विवाद चल रहा है तो कहीं जय मीम जय भीम के नारे चल रहें ,,आरोप प्रत्यारोप का खेल इस वक्त खूब चल रहा हैं ,लेकिन इन सब के बीच आज कल एक शब्द देश के तमाम नेतावों मुँह पर खूब हैं जी हां दलित… दलित… और बस दलित! राजनीति में आजकल यही नाम सबसे ट्रेंडिंग मे है। हर राजनीतिक पार्टी की डायरी के पहले पन्ने पर यही नाम दर्ज है, और 2027 का चुनाव साधने का गणित भी यही हैं । कुल मिलाकर अब बाबा साहब को मानने वालों पर सबकी नजर है।
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राणा सांगा पर दलित सांसद राम जी लाल सुमन ने अभद्र टिप्पणी की तो करणी सेना उग्र हो गई। अखिलेश यादव इसे बीजेपी की सेना बताकर लग गई दलित सेंटीमेंट को पीडीए से जोड़ने में ।अब भला बीजेपी इसमें कहां पीछे रहने वाली थी, बीजेपी ने तो इस बार दलितों को अपने पाले में बनाए रखने के लिए मिशन ही चला दिया है। ऑपरेशन दलित नाम से बाकायदा अभियान शुरू कर दिया है। 15 से 25 अप्रैल तक बीजेपी के नेता अब बस्ती-बस्ती जाकर कार्यशालाएं करेंगे, और दलित बुद्धिजीवियों से बात करेंगे। और ये सब शुरू होगा बाबा साहेब की जयंती के दिन से। इन कार्यशालाओं के लिए कार्यकर्ताओं को भी ट्रेनिंग दी गई है और उन्हे सख्त हिदायत भी दी गई है कि कुछ भी बोलो, पर आंबेडकर, संविधान, आरक्षण और दलितों के मुद्दे पर ऐसा कुछ मत बोलना की दलित मैथमेटिक्स गड़बड़ा जाए।बीजेपी ने इस बार अंबेडकर जयंती को लेकर देशभर में दलित आउटरीच का एक प्लान तैयार किया था. दरअसल बीजेपी का मानना है कि अब बाबा साहब दलितों और समाज के शोषित वर्ग के लिए एक मसीहा या आईकान नहीं, बल्कि देवता हैं, लिहाजा भाजपा अपने कार्यक्रमों में उनको वही सम्मान देती दिखाई देगी।10 अप्रैल, 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को अंबेडकर जयंती और कार्यक्रमों को लेकर प्रदेश स्तर पर वर्कशाप आयोजित किए गए। 13 अप्रैल को देशभर में अंबेडकर की प्रतिमाओं को बीजेपी के कार्यकर्ता साफ किया और शाम को वहां दीपक जलाया । 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर देशभर की दलित बस्तियों में बीजेपी कार्यकर्ता ने मिठाई बाटी और संविधान की प्रस्तावना भी खूब पढ़ी ,और अब 15 से 25 अप्रैल तक बीजेपी जिला स्तर पर सम्मेलन करेगी, और उसमें बीजेपी जनता को ये बताएगी की कांग्रेस ने कैसे डॉ अंबेडकर का अपमान किया और बीजेपी ने उनको सम्मान दिया। वैसे तो बीजेपी हर साल अंबेडकर जयंती पर कार्यक्रम आयोजित करती है पर इस बार बीजेपी का फोकस वो दलित वोटर हैं, जो अब तक बीजेपी से दूर हैं. बीजेपी ने इस बार 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती को बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी पहले ही कर ली थी। और उसी के साथ साथ देशभर में भीमराव अंबेडकर सम्मान अभियान चलवाया हैं , जो 15 दिन का होगा। इस अभियान को चलाने के लिए बीजेपी ने पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को बकायदा ट्रेनिंग भी दी गई है । जिसे पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने संबोधित किया।

लेकिन अब सवाल उठता है कि बीजेपी को इस बार इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम करने की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल इसके पीछे अनुसूचित जाति के 20-22 फीसदी से ज्यादा दलित वोटर हैं।और बीजेपी को लगता है कि मोदी के नाम और दलित वर्ग में काम के आधार पर बीजेपी इस वर्ग में पैठ बनाने में सफल हुई थी, जिसका नतीजा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में दिखा भी था।पर 2024 के चुनाव में लल्लू सिंह, अनंत कुमार हेगड़े, ज्योति मिर्धा जैसे बीजेपी नेताओं के संविधान बदलने वाले बयानों ने विपक्ष को हथियार दे दिया।जिसका फ़ायदा अखिलेश ने जमकर उठाया ,,अखिलेश की समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में 37 सीटें जीतकर इतिहास रच दी ,अखिलेश के इतिहास रचने के बाद बीजेपी सहम गयी कि कही दलित मतदाता हमसे हमेशा के लिए दूऱ न हो जाये ,,,,इसी लिए अब बीजेपी लग गयी है दलित मतदाताओं की रिझाने में अब देखने वाली बात ये होगी कि बीजेपी और आरएसएस अपने मकसद में कितना कामयाब होते हैं ,फ़िलहाल अखिलेश अपने PDA के सहारे बुलेट ट्रैन पर सवार हैं ,लगातार आंबेडकर और दलितों को लेकर बड़े बड़े दावे करते नजर आते हैं।