Home National यूनियन बैंक के लिए खतरा बनी यह किताब? लगे गंभीर आरोप

यूनियन बैंक के लिए खतरा बनी यह किताब? लगे गंभीर आरोप

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देश का चौथा सबसे बड़ा सरकारी बैंक ,यूनियन बैंक ऑफ इंडिया एक किताब के कारण विवादों में घिर गया है। बैंक के मैनेजमेंट को इस किताब ने इतना प्रभावित किया कि प्रकाशित होने से पहले इसकी करीब दो लाख प्रतियां खरीदने का फैसला कर लिया गया। इस किताब का नाम इंडिया@100 है। इन किताबों की कीमत 7.25 करोड़ रुपये थी। यह किताब भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने लिखी है। जिनको हाल ही में भारत सरकार ने आईएमएफ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद से हटाया है।

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अब सवाल उठ रहा कि जब किताब अभी प्रकाशित ही नहीं हुवा है तो इतना बड़ा आर्डर कब और किसके कहने पर किया गया ,,यही सवाल अब कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी किया हैं ,सुप्रिया श्रीनेत कहा कि केवी सुब्रमण्यन, प्रधानमंत्री मोदी और BJP के जाने-माने भक्त हैं।प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए केवी सुब्रमण्यन ने साल 2019-20 के आर्थिक सर्वे में ‘थालीनॉमिक्स’ की चर्चा की थी।यह अलग बात है कि एक साधारण वेज थाली की कीमत सिर्फ एक साल में 52% बढ़ गई है। जब देश बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा था, तब सरकार, सरकारी बैंक द्वारा नरेंद्र मोदी को सही ठहराने के लिए 2 लाख किताबों की प्रतियां खरीद रही थीं।

ऐसे में सरकार,व् सरकारी बैंक और वित्त मंत्रालय से सुप्रिया श्रीनेत ने कुछ सवाल सवाल पूछे जिसमें उन्होंने कहा है कि

  1. क्या यह सच नहीं है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने केवी सुब्रमण्यन की किताब की 2 लाख प्रतियां खरीदीं, क्या बैंक ने 7 करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च करने के लिए अपने Board या वित्त मंत्रालय के Department of Financial Services से अनुमति ली थी?
  2. BJP ने नरेंद्र मोदी की छवि सुधारने के लिए यह पैसा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को नहीं दिया था। यह पैसा जनता का था तो इसका दुरुपयोग क्यों किया गया और क्या खाताधारक को इस बारे में कोई जानकारी दी गई थी?
  3. क्या वित्त मंत्रालय ने इस बात की जांच की है कि यह conflict of interest कैसे हुआ?
  4. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की MD और CEO सुश्री मणिमेखलाई, जिनका जून 2025 में एक्सटेंशन होना है, तो क्या उन्होंने अपने एक्सटेंशन की पैरवी करने के लिए अपरोक्ष रिश्वत दी, क्या ये सब उनकी जानकारी में हुआ?
  5. क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी इस लेन-देन पर सफाई देंगी, PMO इसमें क्यों और किस हद तक शामिल था- इसका जवाब कौन देगा?

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