अब इस बात की चर्चा छिड़ गयी हैं कि आखिर क्या है शिमला समझौता जिसे पाकिस्तान ने ख़त्म कर दिया है। बता दे कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए गए थे। युद्ध के करीब 16 महीने बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो की मुलाकात हुई थी। 2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच हुई बैठक में एक समझौता पर दस्तखत किया गया था, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है।
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समझौते का मूल उद्देश्य दोनों देशों के रिश्तों को सुधारना था। भारत और पाकिस्तान ने यह स्वीकार किया कि वे अपने सभी विवादों को आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाएंगे. यानी किसी तीसरे पक्ष जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, या अन्य कोई बाहरी शक्ति की मध्यस्थता को अस्वीकार किया गया. दोनों देशों ने यह वचन दिया कि वे एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा या सैन्य बल का प्रयोग नहीं करेंगे और सभी मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे. 1971 के युद्ध के बाद की स्थिति के अनुसार एक नई नियंत्रण रेखा निर्धारित की गई, जिसे दोनों देशों ने मान्यता दी. यह वही नियंत्रण रेखा है जो आज भी भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाओं को परिभाषित करती है. भारत ने पाकिस्तान के लगभग 93,000 युद्धबंदियों को बिना किसी अतिरिक्त शर्त के रिहा कर दिया. इसके साथ-साथ, जो जमीन भारत ने युद्ध के दौरान कब्जा की थी, उसका अधिकांश हिस्सा भी पाकिस्तान को लौटा दिया गया.