लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के प्रदर्शन ने उसे झटका दिया है, जबकि झारखंड में विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की झामुमो सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। झामुमो ने 34 सीटें जीतीं, वहीं राजद ने 6 में से 4 सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी मौजूदगी मजबूती से दर्ज कराई। हालांकि, राजद को चतरा और अपने गढ़ कोडरमा में हार का सामना करना पड़ा। खासकर कोडरमा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार शालिनी गुप्ता ने राजद का खेल बिगाड़ दिया।
शालिनी ने 69,537 वोट हासिल किए और राजद के सुभाष यादव को हार का सामना करना पड़ा। कहा जा रहा है कि अगर शालिनी मैदान में नहीं होतीं, तो राजद के सुभाष यादव जीत सकते थे। सुभाष यादव, जो ईडी की कार्रवाई के बाद जेल में थे, के बावजूद क्षेत्र में उनके पक्ष में माहौल तैयार था, लेकिन शालिनी गुप्ता ने एनडीए और राजद दोनों के वोटरों को प्रभावित कर अपनी स्थिति मजबूत कर ली।
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कौन हैं शालिनी गुप्ता?
शालिनी गुप्ता ने 2011 में पंचायत समिति सदस्य के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया और 2015 में प्रखंड प्रमुख बनीं। उन्हें 2012 में झारखंड पंचायत महिला सम्मान और 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार मिल चुका है। 40 वर्षीय शालिनी, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता और आईटी प्रोफेशनल हैं, साफ-सुथरी छवि की नेता मानी जाती हैं। इस बार उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कोडरमा से चुनाव लड़कर बड़ी चर्चा बटोरी।
राजद की झारखंड में धमाकेदार वापसी
बिहार उपचुनाव में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन के बाद झारखंड में राजद ने जबरदस्त वापसी की। राजद ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटों पर जीत दर्ज की। हुसैनाबाद से संजय कुमार सिंह यादव, देवघर से सुरेश पासवान, विश्रामपुर से नरेश प्रसाद सिंह, और गोड्डा से संजय प्रसाद ने भाजपा उम्मीदवारों को हराया।
हालांकि, चतरा में लोजपा के जनार्दन पासवान और कोडरमा में भाजपा की मीरा यादव के हाथों राजद को हार झेलनी पड़ी। राजद के इस प्रदर्शन ने दिखा दिया कि झारखंड में पार्टी ने अपनी जमीन फिर से मजबूत कर ली है, हालांकि कुछ सीटों पर हार ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी चुनौती खत्म नहीं हुई है।