यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज कुंभ में लगे सफाई कर्मियों को 10000 बोनस देने का ऐलान किया है. साथ ही, इसी साल अप्रैल से प्रदेश के सभी सफाई कर्मियों को 16000 रुपए मिनिमम वेज देने की घोषणा की है. इन कर्मियों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर भी मिलेगा. यह ऐसा दांव है, जो सही पड़ गया तो बीजेपी को 2027 विधानसभा चुनाव में जीत की गारंटी दे सकता है.
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योगी के इस ऐलान से यूपी की सियायत में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि योगी आदित्यनाथ ने उस समुदाय के लोगों को अपने पाले में करने की कोशिश की है, जिनमें से ज्यादातर मायावती के वोटर माने जाते रहे हैं. 2027 के चुनाव में ये बीजेपी के लिए बड़ा वोटबैंक हो सकते हैं. इससे अगला चुनाव जीतने के अखिलेश यादव के सपनों पर पानी फिर सकता है.महाकुंभ मेले के दौरान राज्य सरकार ने 10,000 से ज्यादा सफाईकर्मियों को तैनात किया था. इतना ही नहीं, एक स्वच्छता अभियान चलाया गया था, जिसमें 15,000 सफाईकर्मी शामिल हुए थे, जो एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है. यूपी में अधिकतर सफाई कर्मचारी अनुसूचित जातियों (SC) से जुड़े हुए हैं. इनमें से बड़ी संख्या वाल्मीकि समुदाय से आने वाले सफाईकर्मियों की है. इनके अलावा धानुक, मेघवाल, कोरी, जाटव समुदाय से भी बड़ी संख्या में सफाई कमी हैं. सरकारी नौकरियों में आरक्षण होने के बावजूद, सफाईकर्मी पदों पर वाल्मीकि समुदाय की हिस्सेदारी सबसे अधिक बनी हुई है.अब सवाल उठता है कि आखिर क्यों माना जा रहा ये बड़ा दांव. तो बता दे कि यूपी की कुल आबादी में 20.7% अनुसूचित जातियां (SC) हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी संख्या लगभग 4.14 करोड़ है. इनमें धोबी लगभग 24.33 लाख, कोरी लगभग 22.94 लाख, वाल्मीकि करीब 13.19 लाख, खटीक लगभग 9.30 लाख और धानुक लगभग 6.51 लाख हैं. ये आंकड़े 2011 की जनगणना पर आधारित हैं. इनकी संख्या में और इजाफा हुआ होगा. पूरब से लेकर पश्चिम तक हर विधानसभा सीट पर इनकी अच्छी खासी संख्या है, जो जीत हार तय कर सकती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, सोनभद्र में एससी की आबादी सबसे ज्यादा 41.92%, कौशांबी में 36.10%, सीतापुर में 31.87%, हरदोई में 31.36% और उन्नाव में 30.64% तक है. यानी ये लोग इन जिलों में किसी भी पार्टी की जीत में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

1. विभिन्न सर्वे रिपोर्ट्स में अब तक ये दावा किया जाता रहा है कि अनुसूचित जातियों की एक बड़ी आबादी बसपा के साथ रही है. उनका मायावती के साथ एक खास लगाव देखा गया है, लेकिन बीते चुनाव में इसमें कमी आई है. बीजेपी ने इस समुदाय पर पकड़ मजबूत की है. यही वजह है कि लगातार दो बार से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में बीजेपी सफल रही है. 2. लेकिन लोकसभा चुनाव में आरक्षण समेत कई मुद्दों को लेकर विपक्ष ने ऐसा सवाल उठाया कि बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ गईं. एक्सपर्ट का मानना है कि बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के वोटर बीजेपी से खिसककर सपा की ओर चले गए, जिससे सपा को काफी ज्यादा सीटें मिलीं. योगी आदित्यनाथ केा इसके बारे में जानकारी है, इसलिए वह पहले से ही इस समुदाय पर फोकस्ड हैं.